जंतर-मंतर पर महापंचायत: मंदिर मुक्ति और भेदभावपूर्ण कानूनों को रद्द करने की मांग
मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मुहिम: जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी, प्रमुख मांगें सामने आईं
- भारत बचाओ आंदोलन 8 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक महापंचायत का आयोजन कर रहा है।
- आंदोलन की मुख्य मांगों में 1951 के अधिनियम को रद्द करना और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना शामिल है।
- आयोजकों का कहना है कि यह आंदोलन हिंदू मंदिरों के प्रति कथित भेदभाव के खिलाफ है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 जुलाई, 2025: हिंदू धार्मिक संस्थानों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने और उनके प्रबंधन में स्वायत्तता की मांग को लेकर एक नया आंदोलन जोर पकड़ रहा है। भारत बचाओ आंदोलन नामक संगठन ने 8 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक महापंचायत का आयोजन करने की घोषणा की है। सुबह 11 बजे शुरू होने वाले इस प्रदर्शन में देशभर से बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की उम्मीद है। आयोजकों का दावा है कि यह महापंचायत 100 करोड़ हिंदुओं की आवाज उठाने के लिए आयोजित की जा रही है, जो मंदिरों के प्रति कथित भेदभाव को खत्म करना चाहते हैं।
महापंचायत की चार प्रमुख मांगें
इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना है ताकि हिंदू मंदिरों से संबंधित कानूनों में बदलाव किया जा सके। संगठन ने अपनी मांगों को चार बिंदुओं में सूचीबद्ध किया है:
“हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ निधि (मानव संसाधन एवं धर्मार्थ निधि) अधिनियम, 1951” को निरस्त करें: आंदोलनकारी इस 1951 के कानून को भेदभावपूर्ण मानते हैं और इसे तत्काल रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यह कानून हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में रखता है, जबकि अन्य धार्मिक संस्थानों जैसे मस्जिद और चर्च को ऐसी पाबंदियों से छूट दी गई है।
कानूनी रूप से लूटी गई धनराशि और भूमि वापस करें: आंदोलन के अनुसार, स्वतंत्रता के बाद से कई राज्यों में मंदिरों की आय और भूमि का सरकार द्वारा दुरुपयोग या अनुचित तरीके से अधिग्रहण किया गया है। उनकी मांग है कि मंदिरों से ‘लूटी गई’ इन संपत्तियों को वापस लौटाया जाए।
मठों और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करें: आंदोलन का एक और प्रमुख मुद्दा यह है कि मंदिरों और मठों का प्रबंधन पूरी तरह से भक्तों और धार्मिक समुदाय के हाथों में होना चाहिए। वे मस्जिदों और चर्चों की तरह मंदिरों को भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं।
एक राष्ट्रीय हिंदू आयोग की स्थापना करें: आंदोलनकारियों का मानना है कि हिंदू धार्मिक और सांस्कृतिक हितों की रक्षा के लिए एक समर्पित निकाय की आवश्यकता है। इसलिए, उन्होंने एक राष्ट्रीय हिंदू आयोग की स्थापना की मांग की है, जो मंदिरों के मुद्दों, धर्मांतरण और अन्य संबंधित मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सके।
क्यों उठ रही है ये मांग?
भारत बचाओ आंदोलन का मानना है कि वर्तमान व्यवस्था हिंदू समुदाय के साथ एक तरह का भेदभाव है। उनके अनुसार, सरकारें मस्जिदों और चर्चों की आय और संपत्तियों पर सीधे नियंत्रण नहीं रखतीं, जबकि हिंदू मंदिरों की आय का उपयोग अक्सर सरकारी योजनाओं या अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है। आंदोलनकारी इसे धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ मानते हैं और इसे समाप्त करने के लिए जन-समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।
महापंचायत का उद्देश्य सरकार तक इन मांगों को प्रभावी ढंग से पहुंचाना और एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाना है। यह देखना होगा कि इस महापंचायत में कितनी भीड़ जुटती है और सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। यह मुद्दा आने वाले दिनों में और भी बहस का केंद्र बन सकता है, क्योंकि यह धार्मिक स्वतंत्रता और सरकारी नियंत्रण की सीमाओं से जुड़ा हुआ है।