बड़ी खबर! यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा रद्द, भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत
निमिषा प्रिया को मिली नई ज़िंदगी: यमन में मौत की सज़ा माफ, भारतीय प्रयासों का बड़ा फल
- यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा रद्द कर दी गई है।
- भारत के ग्रैंड मुफ्ती कांथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने की पुष्टि।
- यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और मानवीय जीत मानी जा रही है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29 जुलाई, 2025: यमन में मौत की सज़ा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। उनकी मौत की सज़ा को रद्द कर दिया गया है। भारत के ग्रैंड मुफ्ती कांथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने इस खबर की पुष्टि की है। यह फैसला यमन की राजधानी सना में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान लिया गया। हालांकि, यमनी सरकार की ओर से अभी तक आधिकारिक लिखित पुष्टि का इंतजार है, लेकिन इस घोषणा को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और मानवीय जीत माना जा रहा है।
क्या था निमिषा प्रिया का मामला?
केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया 2018 से यमन में एक बेहद मुश्किल कानूनी लड़ाई लड़ रही थीं। उन पर अपने व्यापारिक साझेदार तलाल अब्दो महदी की हत्या करने और उसके शरीर के टुकड़े करने का आरोप था। इस मामले में उन्हें मार्च 2018 में दोषी ठहराया गया था, और 2020 में एक यमनी अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई थी।
दिसंबर 2024 में यमनी राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने निमिषा की फांसी की सज़ा को मंजूरी दे दी थी, और जनवरी 2025 में हूती विद्रोही नेता महदी अल-मशात ने भी इसकी पुष्टि कर दी थी, जिससे उनकी जान पर खतरा और बढ़ गया था। इस गंभीर स्थिति के बाद, भारत में धार्मिक और राजनयिक दोनों स्तरों पर निमिषा को बचाने के प्रयास तेज हो गए थे।
कूटनीतिक और मानवीय प्रयासों का नतीजा
निमिषा प्रिया की जान बचाने के लिए भारत सरकार, केरल राज्य सरकार, विभिन्न सामाजिक संगठनों और भारतीय समुदाय ने अथक प्रयास किए। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका ब्लड मनी (रक्त धन) के लिए पीड़ित परिवार के साथ बातचीत की थी। इस्लामिक शरिया कानून के तहत, पीड़ित परिवार की सहमति और ‘ब्लड मनी’ के भुगतान से मृत्युदंड को माफ किया जा सकता है।
भारतीय अधिकारियों और मध्यस्थों ने तलाल अब्दो महदी के परिवार को यह समझाने के लिए लगातार बातचीत की कि वे निमिषा को माफ कर दें और ‘ब्लड मनी’ स्वीकार करें। इस प्रक्रिया में कई धार्मिक नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत के ग्रैंड मुफ्ती कांथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय की पुष्टि यह बताती है कि इस प्रयास में धार्मिक हस्तियों का हस्तक्षेप भी काफी प्रभावी रहा। यह घटना दर्शाती है कि मुश्किल परिस्थितियों में भी कूटनीति, मानवीय अपील और सामुदायिक प्रयास कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
भविष्य क्या होगा?
हालांकि मौत की सज़ा रद्द कर दी गई है, निमिषा प्रिया की तत्काल रिहाई की गारंटी नहीं है। अक्सर, ऐसे मामलों में मृत्युदंड रद्द होने के बाद दोषियों को आजीवन कारावास या अन्य लंबी जेल की सज़ा दी जाती है। इसके बाद, रिहाई की संभावना माफी, सजा में कमी, या अन्य राजनयिक वार्ताओं पर निर्भर करती है। उम्मीद है कि भारतीय अधिकारी अब निमिषा की जेल की सज़ा कम करने और उन्हें भारत वापस लाने के लिए प्रयास जारी रखेंगे।
इस फैसले ने निमिषा के परिवार, भारत में उनके समर्थकों और वैश्विक मानवाधिकार संगठनों को बड़ी राहत दी है, जो लंबे समय से उनकी रिहाई के लिए संघर्ष कर रहे थे। यह भारत की कूटनीतिक पहुंच और अपने नागरिकों की रक्षा के लिए उसकी प्रतिबद्धता का एक मजबूत उदाहरण भी प्रस्तुत करता है, चाहे वे दुनिया के किसी भी हिस्से में क्यों न हों।