भारतीय बाजारों में आज धीमी शुरुआत की उम्मीद: वैश्विक संकेतों और घरेलू दबाव का असर
शेयर बाजार का रुख: वैश्विक अनिश्चितता और FIIs की बिकवाली से बाजार पर दबाव, निवेशक रहें सावधान!
- आज भारतीय शेयर बाजारों में सुस्त शुरुआत की आशंका है, वैश्विक बाजारों से मिले-जुले संकेत।
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली बाजार पर दबाव बनाए हुए है।
- भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और तिमाही नतीजों पर रहेगी निवेशकों की नजर।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 जुलाई, 2025: आज भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty 50) की शुरुआत सुस्त रहने की उम्मीद है। वैश्विक बाजारों से मिल रहे मिश्रित संकेतों के साथ-साथ कई घरेलू कारक भी बाजार की दिशा तय करेंगे। पिछले सप्ताह भारतीय बाजारों में भारी गिरावट देखी गई थी, और इस सप्ताह भी कुछ प्रमुख चिंताओं के कारण निवेशकों में सतर्कता का माहौल बना हुआ है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा लगातार जारी बिकवाली और कंपनियों के तिमाही नतीजों से जुड़ी अनिश्चितता बाजार पर दबाव बनाए रखेगी।
वैश्विक बाजारों से मिले-जुले संकेत
भारतीय बाजारों को प्रभावित करने वाले वैश्विक कारकों में एशियाई और अमेरिकी बाजारों का प्रदर्शन प्रमुख है। एशियाई बाजारों में आज मिलाजुला रुख देखा जा रहा है। जापान का निक्केई 225 गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है, जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी भी नीचे है। हालांकि, हांगकांग के हैंग सेंग के वायदा मजबूत शुरुआत का संकेत दे रहे हैं।
वहीं, अमेरिकी बाजारों ने पिछले सप्ताह अच्छी बढ़त के साथ समाप्त किया था, जिसमें S&P 500 ने लगातार चौथी बार रिकॉर्ड क्लोजिंग दर्ज की। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक और अमेरिका के रोजगार डेटा भी वैश्विक निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो बाजार के रुख को प्रभावित कर सकते हैं।
घरेलू कारक और निवेशक चिंताएं
घरेलू स्तर पर, कई कारक भारतीय बाजारों में सुस्ती का कारण बन रहे हैं:
FIIs की लगातार बिकवाली: विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार भारतीय इक्विटी बाजार से पूंजी निकाल रहे हैं। जुलाई 2025 में, FIIs ने नकदी बाजार से लगभग ₹28,528 करोड़ के शेयर बेचे हैं, जो बाजार पर भारी दबाव डाल रहा है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) शुद्ध खरीदार बने हुए हैं, लेकिन FIIs की बिकवाली का प्रभाव अधिक दिख रहा है।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अनिश्चितता: भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार समझौते की बातचीत में गतिरोध बना हुआ है। 1 अगस्त की समय सीमा नजदीक आ रही है, लेकिन कृषि और डेयरी उत्पादों पर टैरिफ कम करने को लेकर बातचीत अटकी हुई है। वाशिंगटन से औपचारिक संचार की कमी ने भी निवेशकों की निराशा बढ़ाई है। यदि समझौता नहीं होता है, तो भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त टैरिफ का खतरा मंडरा रहा है।
तिमाही नतीजों का मौसम: भारतीय कंपनियों के वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (Q1) के नतीजे घोषित किए जा रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल के सिद्धार्थ खेमका का कहना है कि “मिले-जुले नतीजों वाला तिमाही कमाई का सीजन” बाजार में दबाव बनाए रखेगा। आईटी शेयरों में विशेष रूप से बिकवाली देखी गई है, क्योंकि प्रमुख कंपनियों के नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे हैं।
बजाज फाइनेंस और MSME पर चिंता: बजाज फाइनेंस के मजबूत तिमाही नतीजों के बावजूद, एसेट क्वालिटी को लेकर नई चिंताओं ने निवेशकों को डरा दिया है, खासकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) सेगमेंट में। इससे वित्तीय क्षेत्र पर दबाव बढ़ा है।
तकनीकी स्तर और विश्लेषकों की राय
गिफ्ट निफ्टी (GIFT Nifty) 24,860 के आसपास कारोबार कर रहा है, जो निफ्टी फ्यूचर्स के पिछले बंद भाव से मामूली कम है, जिससे भारतीय बाजारों की सुस्त शुरुआत का संकेत मिलता है। विश्लेषकों के अनुसार, निफ्टी के लिए 24,850-24,700 का स्तर एक तत्काल समर्थन के रूप में कार्य कर सकता है, जबकि प्रतिरोध 25,100 और 25,235 पर देखा जा रहा है। 25,235 के स्तर से ऊपर एक निर्णायक ब्रेकआउट इंडेक्स को 25,500-25,743 क्षेत्र की ओर ले जा सकता है।
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सख्त जोखिम प्रबंधन के साथ ‘बाय ऑन डिप्स’ (गिरावट पर खरीदें) रणनीति अपनाएं और वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण बड़ी रातोंरात (overnight) पोजीशन लेने से बचें। तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और नए आईपीओ (IPO) की गतिविधियां भी इस सप्ताह बाजार पर नजर रखने वाले प्रमुख कारक होंगे।