- ब्रिटेन-भारत मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में स्कॉटलैंड की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया है।
- यह समझौता स्कॉटलैंड के व्यवसायों के लिए भारत में बड़े अवसर पैदा करेगा।
- स्कॉटलैंड के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों जैसे व्हिस्की, खाद्य और पेय पदार्थ को लाभ होगा।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 जुलाई, 2025: यूनाइटेड किंगडम (UK) और भारत के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) में स्कॉटलैंड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जा रहा है। यह बहुप्रतीक्षित समझौता न केवल दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि विशेष रूप से स्कॉटलैंड के व्यवसायों के लिए भारत जैसे विशाल और तेजी से बढ़ते बाजार में नए अवसर भी खोलेगा। यह एफटीए स्कॉटलैंड के उन प्रमुख निर्यात क्षेत्रों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है, जिनकी भारत में बड़ी मांग है।
स्कॉटिश निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
ब्रिटेन-भारत एफटीए से स्कॉटलैंड के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है। इनमें सबसे प्रमुख स्कॉच व्हिस्की है, जिसकी भारत में अत्यधिक मांग है। एफटीए के तहत टैरिफ में कमी से स्कॉच व्हिस्की भारतीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगी, जिससे इसकी बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, स्कॉटलैंड के उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य और पेय पदार्थ, ऊर्जा प्रौद्योगिकी, शिक्षा सेवाएं और वित्तीय सेवाएं भी भारत में नए ग्राहकों और निवेश के अवसर तलाश सकती हैं।
स्कॉटलैंड के व्यवसाय पहले से ही भारत के साथ मजबूत संबंध रखते हैं, और यह एफटीए इन संबंधों को और गहरा करेगा। इससे व्यापार बाधाएं कम होंगी, नियामक प्रक्रियाओं में सामंजस्य स्थापित होगा और दोनों देशों के बीच माल व सेवाओं के निर्बाध प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा। यह स्कॉटलैंड के निर्यातकों के लिए एक बड़ा बढ़ावा साबित होगा।

रोजगार सृजन और आर्थिक विकास
यह एफटीए न केवल स्कॉटलैंड के व्यवसायों के लिए निर्यात के अवसर बढ़ाएगा, बल्कि स्कॉटलैंड में रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जब निर्यात बढ़ता है, तो उत्पादन भी बढ़ता है, जिससे स्थानीय स्तर पर अधिक नौकरियां पैदा होती हैं। यह समझौता स्कॉटलैंड की अर्थव्यवस्था को विविधता प्रदान करने में मदद करेगा और उसे वैश्विक बाजारों से अधिक मजबूती से जोड़ेगा।
भारत और स्कॉटलैंड के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंध नवाचार को भी बढ़ावा देंगे। दोनों देश अनुसंधान और विकास में सहयोग कर सकते हैं, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और डिजिटल समाधान जैसे क्षेत्रों में, जहां दोनों के पास विशेषज्ञता है। यह साझेदारी दोनों अर्थव्यवस्थाओं को अधिक लचीला और भविष्य के लिए तैयार बनाएगी।

एफटीए की प्रगति और स्कॉटलैंड का दृष्टिकोण
ब्रिटेन और भारत के बीच एफटीए पर बातचीत काफी समय से चल रही है, जिसमें कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। स्कॉटिश सरकार और स्कॉटलैंड के व्यापारिक संगठन इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि समझौते में स्कॉटलैंड के विशिष्ट हितों को शामिल किया जाए।
स्कॉटलैंड भारत को एक रणनीतिक भागीदार के रूप में देखता है, जिसकी बड़ी आबादी, बढ़ती मध्यम वर्ग और तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था है। यह एफटीए केवल व्यापारिक बाधाओं को दूर करने से कहीं बढ़कर है; यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शैक्षिक सहयोग और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को भी बढ़ावा देगा। यह समझौता स्कॉटलैंड को वैश्विक मंच पर अपनी पहचान मजबूत करने और भारत के साथ दीर्घकालिक और पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी बनाने में मदद करेगा। आने वाले समय में, यह एफटीए दोनों क्षेत्रों के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकता है, जो समृद्धि और सहयोग पर आधारित होगा।