निजी स्कूलों में भी आरक्षण की मांग: राहुल गांधी बोले, ‘अंग्रेजी शिक्षा पर कुछ लोगों का एकाधिकार खत्म हो’

राहुल गांधी का नया सामाजिक न्याय का दांव: अब निजी स्कूलों में भी मिलेगा वंचित वर्गों को हक?

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  • राहुल गांधी ने निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में ओबीसी आरक्षण की वकालत की।
  • उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शिक्षा एक आर्थिक शक्ति है, इस पर कुछ लोगों का एकाधिकार खत्म होना चाहिए।
  • यह मांग समान अवसर और सामाजिक न्याय के कांग्रेस के एजेंडे का हिस्सा है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 जुलाई, 2025: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए एक नई और महत्वपूर्ण मांग उठाई है। उन्होंने निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अन्य वंचित वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने की जोरदार वकालत की है। राहुल गांधी का तर्क है कि जब तक देश में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित रहेगी, तब तक समान अवसर पर चर्चा अधूरी रहेगी। उनका यह बयान शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव की मांग करता है और भविष्य की राजनीति में एक नए बहस का केंद्र बन सकता है।

अंग्रेजी शिक्षा: ‘आर्थिक शक्ति’ और सामाजिक गतिशीलता

राहुल गांधी ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि अंग्रेजी शिक्षा केवल भाषा नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण ‘आर्थिक शक्ति’ है जो सामाजिक गतिशीलता को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि जब तक वंचित वर्गों को निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों तक पहुंच नहीं मिलेगी, तब तक सामाजिक समानता एक भ्रम बनी रहेगी। राहुल गांधी लंबे समय से सामाजिक असमानता, बेरोजगारी और शिक्षा के अवसरों में भेदभाव के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, और निजी स्कूलों में आरक्षण की यह मांग उनके इसी व्यापक एजेंडे का हिस्सा है।

कांग्रेस नेता का मानना है कि यदि निजी स्कूल भारतीय संविधान के तहत पंजीकृत हैं और सार्वजनिक हित में काम कर रहे हैं, तो उन्हें अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए। उन्होंने ‘मंडल आयोग’ की भावना को न केवल सरकारी नौकरियों तक, बल्कि शिक्षा क्षेत्र तक बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि समाज के हर वर्ग को विकास का समान अवसर मिल सके।

‘जितनी आबादी, उतना हक’ के नारे का विस्तार

राहुल गांधी की यह मांग ‘जितनी आबादी, उतना हक’ के उनके नारे का ही एक विस्तार है। कांग्रेस पार्टी लगातार जातिगत जनगणना की मांग कर रही है, ताकि ओबीसी और अन्य वंचित वर्गों की सही संख्या का पता चल सके और उन्हें उसी अनुपात में सभी क्षेत्रों में भागीदारी मिल सके। निजी स्कूलों में आरक्षण की मांग इसी दिशा में एक कदम है, जिसका उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से इन वर्गों को सशक्त बनाना है।

इस मांग को आगामी विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की रणनीतिक पहल के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी सामाजिक न्याय के मुद्दों को उठाकर दलितों, आदिवासियों और ओबीसी समुदायों के बीच अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और शिक्षा क्षेत्र पर प्रभाव

राहुल गांधी की इस मांग पर राजनीतिक गलियारों और शिक्षा क्षेत्र से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आने की संभावना है। सत्ताधारी भाजपा इस पर पलटवार कर सकती है, जबकि अन्य क्षेत्रीय दल जो ओबीसी राजनीति पर केंद्रित हैं, वे इसका समर्थन कर सकते हैं। निजी स्कूल संगठनों की ओर से इस पर आपत्ति उठाई जा सकती है, क्योंकि वे इसे अपनी स्वायत्तता और प्रबंधन पर हस्तक्षेप मान सकते हैं।

यदि यह मांग स्वीकार की जाती है, तो इसका देश की शिक्षा प्रणाली पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह निजी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रियाओं को बदल सकता है, और शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच पर भी बहस छेड़ सकता है। हालांकि, राहुल गांधी का लक्ष्य स्पष्ट है: शिक्षा में समानता लाना और यह सुनिश्चित करना कि कोई भी बच्चा अपने सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित न रहे।

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