निफ्टी के लिए बढ़ी चिंता, 50-DMA टूटा; अमेरिकी व्यापार डील और कोटक बैंक पर नजर
बाजार का रुख: निफ्टी की कमजोरी और वैश्विक संकेतों का असर, निवेशक रहें सावधान!
- निफ्टी 50-दिवसीय मूविंग एवरेज (DMA) से नीचे बंद हुआ, जो बाजार के लिए चिंता बढ़ा रहा है।
- अमेरिका-भारत व्यापार समझौते की समय सीमा करीब है, जिसका असर बाजार पर दिख सकता है।
- कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों में उतार-चढ़ाव और तिमाही नतीजों पर रहेगी निवेशकों की नजर।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 जुलाई, 2025: भारतीय शेयर बाजार के लिए आगामी सप्ताह महत्वपूर्ण चुनौतियों और अवसरों से भरा हो सकता है। निफ्टी (Nifty) ने पिछले सत्र में अपने महत्वपूर्ण 50-दिवसीय मूविंग एवरेज (DMA) को तोड़कर नीचे बंद हुआ है, जो तकनीकी रूप से कमजोर संकेत माना जा रहा है। इसके साथ ही, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की समय सीमा नजदीक आ रही है, जिसका परिणाम वैश्विक और घरेलू बाजारों पर असर डाल सकता है। वहीं, निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंक कोटक महिंद्रा बैंक के हालिया तिमाही नतीजों और शेयरों में उतार-चढ़ाव भी निवेशकों के लिए अहम रहेंगे।
निफ्टी की चिंता: 50-DMA का टूटना
निफ्टी 50-DMA को बाजार की दिशा का एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है। जब कोई सूचकांक या स्टॉक अपने 50-DMA से नीचे आता है, तो इसे अक्सर एक मंदी का संकेत माना जाता है, जो आगे और गिरावट का कारण बन सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि निफ्टी के लिए अगला महत्वपूर्ण समर्थन स्तर अब 200-DMA के आसपास 24,000 के स्तर पर हो सकता है।
बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा लगातार बिकवाली और कमजोर कमाई के मौसम के कारण भी दबाव बना हुआ है। हालांकि, कुछ विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि भारी शॉर्ट पोजीशन के कारण बाजार में ‘शॉर्ट कवरिंग’ की संभावना हो सकती है, जिससे निचले स्तरों से उछाल देखने को मिल सकता है।
अमेरिका-भारत व्यापार समझौते का असर
अमेरिका और भारत के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की समय सीमा 1 अगस्त, 2025 है। यदि इस समय सीमा तक कोई समझौता नहीं हो पाता है, तो भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त टैरिफ का खतरा मंडरा रहा है, जिससे कई क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 26 जुलाई को एक बयान में संकेत दिया है कि अगर देश व्यापार समझौते पर सहमत नहीं हुए तो उन्हें कठोर शुल्क का सामना करना पड़ेगा।
भारत और अमेरिका दोनों देशों के लिए कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में बाजार पहुंच के मुद्दे पर बातचीत में बाधा आ रही है। भारत कृषि और डेयरी उत्पादों पर कम शुल्क की अमेरिकी मांगों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है, जबकि अमेरिका स्टील, एल्यूमीनियम और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में शुल्क कम करने को तैयार नहीं है। इस डील का परिणाम दोनों देशों के आर्थिक संबंधों और वैश्विक व्यापार परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा। यदि समझौता होता है, तो यह भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा और निवेश के माहौल को भी सुधारेगा।
कोटक बैंक के शेयर और तिमाही नतीजे
कोटक महिंद्रा बैंक ने हाल ही में अपने जून तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। बैंक का समेकित शुद्ध लाभ पिछली तिमाही में ₹4,472 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के ₹7,448 करोड़ से काफी कम है। हालांकि, पिछले वर्ष के आंकड़े में सामान्य बीमा व्यवसाय में हिस्सेदारी की बिक्री से ₹3,000 करोड़ से अधिक का एकमुश्त लाभ शामिल था।
स्टैंडअलोन आधार पर, बैंक का शुद्ध लाभ साल-दर-साल 7% गिरकर ₹3,282 करोड़ हो गया। बैंक ने इस गिरावट का कारण RBI की दरों में कटौती से प्रभावित मुख्य आय में कमी, धीमी शुल्क आय वृद्धि और बढ़े हुए प्रावधानों को बताया है। निवल ब्याज आय (NII) 6% बढ़कर ₹7,259 करोड़ हो गई, लेकिन निवल ब्याज मार्जिन (NIM) 37 आधार अंक गिरकर 4.65% हो गया। बैंक के MD और CEO अशोक वासवानी ने कहा कि सूक्ष्मवित्त व्यवसाय में तनाव अब अपनी चरम पर है और दूसरी तिमाही में इसमें कमी आने की उम्मीद है। निवेशकों की नजर बैंक के आगे के मार्गदर्शन और खुदरा ऋण खंड में उसके प्रदर्शन पर बनी रहेगी।