चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान की वार्षिक बैठक: नई कार्यसमिति का गठन, डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना बने अध्यक्ष

दीनदयाल शोध संस्थान को मिली नई दिशा: आत्मनिर्भरता और ग्रामीण विकास के लिए नवीन सोच पर जोर

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  • दीनदयाल शोध संस्थान की दो दिवसीय वार्षिक साधारण सभा की बैठक 25 और 26 जुलाई को चित्रकूट में संपन्न हुई।
  • बैठक में संस्थान की अखिल भारतीय कार्य समिति का पुनर्गठन किया गया।
  • डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना को संस्थान का नया अध्यक्ष चुना गया, जबकि अन्य प्रमुख पदाधिकारियों को भी जिम्मेदारी मिली।

समग्र समाचार सेवा
चित्रकूट, 26 जुलाई, 2025: दीनदयाल शोध संस्थान की वार्षिक साधारण सभा की दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक 25 और 26 जुलाई को चित्रकूट स्थित दीनदयाल परिसर के लोहिया सभागार में संपन्न हुई। इस बैठक में देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से आए संस्थान के कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। बैठक का मुख्य आकर्षण संस्थान की अखिल भारतीय कार्य समिति का पुनर्गठन रहा, जिसमें आगामी पांच वर्षों (2025-2030) के लिए नई टीम का चुनाव किया गया। इस दौरान संस्थान के पुराने कार्यों की समीक्षा की गई और भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें आत्मनिर्भरता और ग्रामीण स्वावलंबन पर विशेष जोर दिया गया।

नई कार्यसमिति का गठन: नेतृत्व में बदलाव

प्रत्येक पांच वर्ष के अंतराल पर गठित होने वाली संस्थान की नई समिति के लिए, साधारण सभा की बैठक में अध्यक्ष पद की कमान मध्य क्षेत्र संघचालक और रायपुर के प्रख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना को सौंपी गई। उनके नाम का प्रस्ताव निवर्तमान अध्यक्ष श्री वीरेंद्रजीत सिंह ने किया, जिसका अनुमोदन सर्वसम्मति से सभी सदस्यों ने किया। अध्यक्ष चुने जाने के बाद डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा की।

नई कार्यसमिति में प्रमुख पदाधिकारियों के रूप में नागपुर के श्री निखिल मुंडले को प्रधान सचिव और श्री अभय महाजन को पुनः संगठन सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। श्री वसंत पंडित को कोषाध्यक्ष चुना गया है। उपाध्यक्ष के रूप में सतना से श्री उत्तम बनर्जी, श्री अतुल जैन, श्री राम अवतार विंजराजका और डॉ. अनुपम मिश्र को शामिल किया गया है। वहीं, सचिव के रूप में इंदौर से श्री राजेश महाजन, श्री मनुवीर अग्रवाल, श्री भूपेंद्र मलिक और श्री अपराजित शुक्ल को चुना गया है। इसके अतिरिक्त, श्री अमिताभ वशिष्ठ को मुख्य कार्यपालन अधिकारी और डॉ. अनिल जायसवाल को महाप्रबंधक बनाया गया है।

इस नई टीम में कुल 12 पदाधिकारियों सहित 70 लोगों को शामिल किया गया है। इसमें 22 प्रबंध समिति सदस्य, 12 पदेन सदस्य, 13 विशेष सदस्य और 23 साधारण सभा के सदस्य शामिल हैं। यह नई टीम 2025 से 2030 तक अगले पांच वर्षों के लिए कार्य करेगी। सभी सदस्यों ने पूरी निष्ठा और लगन से संस्थान की कार्य पद्धति के अनुरूप काम करने का संकल्प लिया।

दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि और मार्गदर्शन

बैठक के आरंभ में, दीनदयाल शोध संस्थान के परिजनों के दिवंगत सदस्यों, सीमा और आंतरिक सुरक्षा में प्राण गंवाने वाले सुरक्षा बलों, सैनिकों, अर्धसैनिक बलों और पुलिस बल के जवानों, तथा प्राकृतिक आपदाओं एवं आतंकवादी घटनाओं में जान गंवाने वाले सभी हुतात्माओं की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं दीनदयाल शोध संस्थान के संपर्क अधिकारी श्री सुरेश सोनी ने अपने उद्बोधन में कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि संस्थान के साथ लाखों लोग जुड़े हुए हैं, लेकिन पदाधिकारी कुछ ही होते हैं। उन्होंने जोर दिया कि नए लोग आते हैं, पुराने लोग जाते हैं, यह क्रम चलता रहता है, लेकिन सबको पूरी ऊर्जा के साथ पुनः खड़ा होना चाहिए ताकि एक आदर्श कार्य खड़ा हो सके। सोनी जी ने यह भी कहा कि जब परिस्थितियां बदलती हैं, तो हमें अपने कार्यों का पुनर्मूल्यांकन करने और समय के अनुकूल परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने नई टीम को नवीन दायित्वों के साथ शुभकामनाएं दीं।

ग्रामीण विकास और नवाचार पर जोर

बैठक में दीनदयाल शोध संस्थान के गोंडा, बीड़, नागपुर, दिल्ली और चित्रकूट प्रकल्पों द्वारा किए जा रहे कार्यों का प्रस्तुतीकरण भी दिया गया। संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों के ग्राम स्तर पर लोगों तथा समाज पर हो रहे उसके प्रभाव का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया। पिछले वित्तीय वर्ष में किए गए कार्यों और कार्य योजनाओं के क्रियान्वयन व उसके व्यापक परिणामों पर विचार-विमर्श किया गया। इस वित्तीय वर्ष में किए जा रहे कार्यों का समाज पर और बेहतर प्रभाव की दृष्टि से विस्तृत योजना-रचना पर चर्चा की गई और पिछले वर्ष के तुलनापत्र का अनुमोदन भी सर्वसम्मति से किया गया।

नए अध्यक्ष डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने अपनी नई टीम को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सबके सहयोग के बिना कोई भी कार्य दक्षतापूर्वक चलाना संभव नहीं है। उन्होंने ग्रामीण विकास और कौशल विकास की दिशा में दीनदयाल शोध संस्थान के लिए नवाचार और नए शोधों की संभावनाओं पर जोर दिया। डॉ. सक्सेना ने कहा कि नानाजी देशमुख द्वारा किए गए प्रयोगों को यथावत रखते हुए, उसमें युगानुकूल नवाचार की दिशा में नए लोगों के अनुभवों का लाभ मिलना चाहिए, यही उनकी अपेक्षा है।

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