भारतीय पासपोर्ट ने लगाई लंबी छलांग: 77वें स्थान पर पहुंचा, 59 देशों में वीजा-मुक्त यात्रा
भारतीय पासपोर्ट का बढ़ता दबदबा: वैश्विक यात्रा में अब और अधिक स्वतंत्रता, अमेरिका-ब्रिटेन की रैंकिंग गिरी
- हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 में भारतीय पासपोर्ट 85वें से 77वें स्थान पर पहुंचा, 8 पायदान का सुधार।
- अब भारतीय नागरिक दुनिया के 59 देशों में बिना वीजा या वीजा-ऑन-अराइवल की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
- यह सुधार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और कूटनीतिक प्रभाव में वृद्धि का संकेत है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26 जुलाई, 2025: वैश्विक मोबिलिटी इंटेलिजेंस फर्म हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा जारी नवीनतम हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारतीय पासपोर्ट ने महत्वपूर्ण छलांग लगाई है। इस साल भारत 85वें स्थान से सीधे 77वें स्थान पर पहुंच गया है, जो पिछले छह महीनों में किसी भी देश द्वारा की गई सबसे बड़ी रैंकिंग सुधारों में से एक है। इस उछाल के साथ, भारतीय पासपोर्ट धारक अब दुनिया के 59 देशों में बिना पूर्व वीजा या ‘वीजा-ऑन-अराइवल’ की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं, जिससे भारतीयों के लिए अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और भी आसान हो गई है।
हेनले इंडेक्स में भारत का प्रभावशाली प्रदर्शन
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्टों की रैंकिंग करता है, जो इस बात पर आधारित होता है कि कोई पासपोर्ट धारक कितने देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकता है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों के आधार पर यह इंडेक्स संकलित किया जाता है। 2025 की रिपोर्ट में भारत के प्रदर्शन को बेहद प्रभावशाली माना जा रहा है, क्योंकि एक ही अपडेट में 8 पायदान ऊपर चढ़ना कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। पिछले साल यह संख्या 57 थी, जिसमें फिलीपींस और श्रीलंका जैसे नए गंतव्य जुड़ गए हैं।
भारतीय नागरिकों के लिए वीजा-मुक्त या वीजा-ऑन-अराइवल सुविधा प्रदान करने वाले प्रमुख देशों में मलेशिया, इंडोनेशिया, मालदीव और थाईलैंड शामिल हैं। यह दक्षिण एशियाई और आसियान देशों के साथ भारत के बढ़ते कूटनीतिक संबंधों और मजबूत व्यापारिक रिश्तों का भी सूचक है।
अमेरिका और ब्रिटेन की रैंकिंग में गिरावट
जहां भारतीय पासपोर्ट की शक्ति बढ़ी है, वहीं कभी दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की रैंकिंग में गिरावट देखी गई है। यूके अब 186 देशों तक पहुंच के साथ छठे स्थान पर खिसक गया है, जबकि अमेरिका 182 देशों तक वीजा-मुक्त पहुंच के साथ दसवें स्थान पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहली बार है जब अमेरिका का शीर्ष 10 से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है। इस गिरावट के पीछे इन देशों की सख्त आप्रवासन नीतियां और कुछ हद तक वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों को भी एक कारण माना जा रहा है।
दूसरी ओर, सिंगापुर 227 में से 193 गंतव्यों तक वीजा-मुक्त पहुंच के साथ इंडेक्स में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। जापान और दक्षिण कोरिया 190 गंतव्यों के साथ दूसरे स्थान पर हैं। फ्रांस, जर्मनी और इटली सहित सात यूरोपीय संघ के देश संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं, जिनके नागरिक 189 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं।
बढ़ते राजनयिक संबंध और वैश्विक स्वीकार्यता
भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग में लगातार सुधार भारत के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, आर्थिक नीतियों की सफलता और मजबूत कूटनीतिक प्रभाव का सीधा परिणाम है। भारत विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों को मजबूत कर रहा है और वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, जिससे भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा के अवसर बढ़ रहे हैं।
यह रुझान IATA के आंकड़ों में भी दिखाई देता है, क्योंकि 2025 के पहले पांच महीनों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की एयरलाइनों ने 9.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वैश्विक हवाई यात्रा वृद्धि में अग्रणी स्थान हासिल किया। यह दर्शाता है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मोबिलिटी तेजी से बढ़ रही है और भारत इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भविष्य में भी, भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के मजबूत होने के साथ-साथ भारतीय पासपोर्ट की शक्ति में और वृद्धि होने की संभावना है, जिससे भारतीय नागरिकों को वैश्विक स्तर पर अधिक स्वतंत्रता और अवसर मिलेंगे।