कांग्रेस से हुई OBC मुद्दों को समझने में चूक: राहुल गांधी ने ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में मानी गलती
राहुल गांधी ने स्वीकार की 'ऐतिहासिक गलती': ओबीसी वर्ग के लिए अब डबल स्पीड से करेंगे काम
- राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि कांग्रेस और उनसे ओबीसी मुद्दों को समझने में कमी रह गई।
- उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना न कराना मेरी गलती थी, इसे अब सुधारेंगे।
- ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में ओबीसी को भागीदारी और सम्मान दिलाने पर जोर, भाजपा-आरएसएस पर साधा निशाना।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 जुलाई, 2025: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित ‘ओबीसी नेतृत्व भागीदारी न्याय महासम्मेलन’ में एक बड़ा और चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि उनसे और कांग्रेस पार्टी से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मुद्दों को समझने में कमी रह गई थी, और यूपीए सरकार के दौरान जातिगत जनगणना न कराना उनकी व्यक्तिगत गलती थी। राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि वह इस गलती को सुधारना चाहते हैं और अब ओबीसी वर्ग के लिए डबल स्पीड से काम करेंगे। उनके इस बयान को आगामी विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की ओबीसी केंद्रित रणनीति के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
‘मेरी गलती थी, ओबीसी की रक्षा नहीं कर पाया’
अपने संबोधन में राहुल गांधी ने कहा, “मुझे राजनीति में आए 21 साल हो गए हैं। जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मैंने गलती की। मैंने ओबीसी की उस तरह रक्षा नहीं की जैसी मुझे करनी चाहिए थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं उस समय आपके मुद्दों को गहराई से नहीं समझ पाया था।” उन्होंने अफसोस जताया कि अगर उन्हें ओबीसी के इतिहास और उनकी परेशानियों के बारे में तब थोड़ी भी समझ होती, तो वह उसी समय जातिगत जनगणना करा लेते।
राहुल गांधी ने अपनी इस चूक को कांग्रेस पार्टी की गलती न मानते हुए अपनी निजी गलती बताया। उन्होंने कहा कि दलितों और आदिवासियों की कठिनाइयों को समझना उनके लिए आसान था क्योंकि उनके मुद्दे अधिक स्पष्ट थे, लेकिन ओबीसी की मुश्किलें ‘छिपी’ रहती हैं और उन्हें गहराई से समझने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने जातिगत जनगणना कराकर एक ‘राजनीतिक भूकंप’ ला दिया है, जिसके झटके अभी देश में महसूस किए जाने बाकी हैं।
जातिगत जनगणना और भागीदारी न्याय का वादा
राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि 21वीं सदी डेटा की सदी है और अगर हम देश में ओबीसी, दलित और आदिवासियों की सही संख्या और उनकी स्थिति नहीं जानेंगे तो उन्हें उचित भागीदारी और न्याय कैसे मिलेगा? उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य देश की उत्पादक शक्ति (जो मुख्य रूप से ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्ग से आती है) को सम्मान और भागीदारी दिलाना है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जानबूझकर ओबीसी के इतिहास को मिटाने की कोशिश की है। राहुल गांधी ने वादा किया कि कांग्रेस शासित सभी राज्यों में जातिगत जनगणना करवाई जाएगी और सत्ता में आने पर केंद्र में भी इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने 50% आरक्षण की सीमा तोड़ने की भी वकालत की, ताकि ओबीसी को उनकी आबादी के अनुपात में अधिक आरक्षण मिल सके।
पीएम मोदी पर निशाना और भविष्य की रणनीति
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी केवल ‘शो-बाजी’ हैं और उनमें कोई ‘दम’ नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया ने मोदी को एक गुब्बारा बना रखा है।
कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 में एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के मुद्दों को उठाकर राजनीतिक फायदा उठाने में सफल रही थी, और अब ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ के माध्यम से वह इस रणनीति को और मजबूत करना चाहती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई दिग्गज नेता इस सम्मेलन में शामिल हुए। यह स्पष्ट है कि कांग्रेस 2029 के लोकसभा चुनावों के लिए सामाजिक न्याय और जातिगत जनगणना को अपने मुख्य चुनावी मुद्दों के रूप में पेश करने की तैयारी कर रही है।