राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर तीखी बहस: विपक्ष ने मांगा जवाब, सरकार ने दी सफाई

'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में गरमाई सियासत: क्या विदेशी दबाव में हुई थी सैन्य कार्रवाई?

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  • राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर तीखी बहस, विपक्ष ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा।
  • समाजवादी पार्टी सांसद रामजी लाल सुमन ने अंतर्राष्ट्रीय दबाव पर सवाल उठाया।
  • विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आतंकी हमले के खिलाफ सामरिक कार्रवाई बताया।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 जुलाई, 2025: भारत की हालिया सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर आज राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने सरकार से इस ऑपरेशन पर विस्तृत स्पष्टीकरण की मांग की, जिसके बाद सदन में तीखी बहस देखने को मिली। समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने सरकार से सीधे सवाल किया कि क्या 7 मई को किए गए इस सैन्य हमले का फैसला किसी अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण लिया गया था? उन्होंने ऑपरेशन के औचित्य, प्रभावशीलता और समय पर स्पष्टता की मांग की, जिससे सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ गया।

विपक्ष के सवाल: अंतर्राष्ट्रीय दबाव और युद्धविराम का कारण

सांसद रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान कई सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या भारत की संप्रभुता पर हमला होने के बाद भी सरकार ने इस ऑपरेशन को अंजाम देने में देरी की? उन्होंने विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अचानक हुए युद्धविराम पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या यह किसी विदेशी शक्ति के दबाव का परिणाम था? विपक्ष का तर्क था कि सरकार को इस संवेदनशील सैन्य कार्रवाई पर संसद को विश्वास में लेना चाहिए था और पूरी जानकारी साझा करनी चाहिए थी। उन्होंने सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर पारदर्शिता की कमी का भी आरोप लगाया।

सरकार का जवाब: ‘सामरिक प्रतिक्रिया’ और कोई बाहरी दबाव नहीं

विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देते हुए, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने सरकार की ओर से स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों के नरसंहार के जवाब में की गई एक सामरिक प्रतिक्रिया थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सैन्य कार्रवाई किसी भी बाहरी दबाव या जबरदस्ती से प्रभावित नहीं थी।

मंत्री ने बताया कि इस हमले का उद्देश्य पाकिस्तान-समर्थित आतंकी बुनियादी ढांचे को खत्म करना था। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन को अत्यधिक सटीकता के साथ अंजाम दिया गया, जिससे आतंकवादी ठिकानों को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचा। सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई भारत के संयम के सिद्धांत और रणनीतिक प्रतिरोध के सिद्धांत का पालन करते हुए की गई थी। यह संसदीय उपस्थिति ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ, समय और लक्ष्यों के बारे में सरकार की ओर से पहली आधिकारिक व्याख्या थी।

युद्धविराम पर स्पष्टीकरण: पाकिस्तान का अनुरोध

रामजी लाल सुमन द्वारा युद्धविराम के संबंध में पूछे गए प्रश्न पर, मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने स्पष्ट किया कि 10 मई को पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) ने भारतीय DGMO से संचालन रोकने का अनुरोध किया था। दोनों देशों के बीच आपसी समझौते के परिणामस्वरूप उसी दिन युद्धविराम हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य किसी भी देश पर आक्रमण करना नहीं था, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश देना था।

यह बहस दर्शाती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य कार्रवाइयों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी भारत की संसद में गहन और कई बार तीखी चर्चाएँ होती हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ता राजनीतिक तनाव इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में भी राजनीतिकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जिससे जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।

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