राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 का अनावरण: सहकार से समृद्धि की नई इबारत

अमित शाह ने लॉन्च की नई सहकारिता नीति: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी संजीवनी, 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य

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  • केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 का अनावरण किया।
  • यह नीति प्रधानमंत्री मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ विजन को साकार करने का ऐतिहासिक कदम है।
  • लक्ष्य है 2034 तक जीडीपी में सहकारी क्षेत्र का योगदान तीन गुना बढ़ाना, 50 करोड़ नए सदस्य जोड़ना।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 जुलाई, 2025: केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 का अनावरण किया। इस अवसर पर सहकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर, श्री मुरलीधर मोहोल, सहकारिता सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सुरेश प्रभु सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस नीति को ‘सहकार से समृद्धि’ के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है।

नीति निर्माण में व्यापक जन-भागीदारी

राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 के अनावरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री अमित शाह ने बताया कि यह नीति श्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में गठित 40 सदस्यीय समिति ने तैयार की है। इस समिति ने देश के सहकारिता क्षेत्र को एक ‘परिपूर्ण और दूरदर्शी’ नीति देने के लिए विभिन्न पक्षों (stakeholders) के साथ व्यापक संवाद किया। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित की गईं, कोऑपरेटिव क्षेत्र के नेताओं, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और विभिन्न मंत्रालयों सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ गहन चर्चा की गई। समिति को लगभग 750 सुझाव प्राप्त हुए, 17 बैठकें हुईं, और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) तथा नाबार्ड (NABARD) के साथ परामर्श के बाद इस नीति को अंतिम रूप दिया गया।

शाह ने याद दिलाया कि भारत सरकार पहली बार वर्ष 2002 में सहकारिता नीति लेकर आई थी, उस समय भी उन्हीं की पार्टी की सरकार थी और स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। आज 2025 में जब दूसरी बार यह नीति पेश की गई है, तब भी उन्हीं की सरकार है और श्री नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने जोर दिया कि वही सरकारें सहकारिता क्षेत्र को महत्व दे सकती हैं जो देश के विकास के लिए आवश्यक दृष्टिकोण और चीजों को समझती हैं।

‘सहकार से समृद्धि’ और 2047 का विजन

श्री अमित शाह ने कहा कि नई सहकारिता नीति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को पूरा करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने 2027 तक भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही, 140 करोड़ नागरिकों के समावेशी विकास की जिम्मेदारी भी भारत की है। उन्होंने कहा कि भारत का मूल विचार एक ऐसा मॉडल बनाने का है जिसमें सबका सामूहिकता के साथ विकास हो, और सभी के योगदान से देश का विकास हो।

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आजादी के लगभग 75 साल बाद सहकारिता मंत्रालय का गठन किया, जब यह क्षेत्र एक प्रकार से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। उन्होंने दावा किया कि बीते चार साल में कोऑपरेटिव सेक्टर हर पैमाने पर कॉरपोरेट क्षेत्र की तरह समानता के आधार पर खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि 2020 से पहले कुछ लोगों ने सहकारिता को मृतप्राय घोषित कर दिया था, लेकिन आज वही लोग कहते हैं कि सहकारिता क्षेत्र का भी भविष्य है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि देश के 140 करोड़ लोगों को साथ रखकर अर्थतंत्र का विकास करने की क्षमता केवल सहकारिता क्षेत्र में है, क्योंकि यह छोटी पूंजी वाले अनेक लोगों को मिलाकर उद्यम स्थापित करने का अवसर देता है। इसलिए, इस नीति का केंद्रबिंदु गांव, कृषि, ग्रामीण महिलाएं, दलित और आदिवासी सहित 140 करोड़ लोग हैं।

नीति के छह स्तंभ और महत्वाकांक्षी लक्ष्य

नई सहकारिता नीति का विजन सहकारिता के माध्यम से समृद्धि लाकर 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है। इसका मिशन ‘पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक से युक्त, जिम्मेदार और आर्थिक रूप से स्वतंत्र व सफल छोटी-छोटी सहकारी इकाइयों को बढ़ावा देना’ है, और प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी इकाई स्थापित करना है। नीति के छह स्तंभों में नींव का सशक्तिकरण, जीवंतता को प्रोत्साहन, सहकारी समितियों को भविष्य के लिए तैयार करना, समावेशिता को बढ़ावा और पहुँच का विस्तार, नए क्षेत्रों में विस्तार और सहकारी विकास के लिए युवा पीढ़ी को तैयार करना शामिल हैं।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने बताया कि पर्यटन, टैक्सी, बीमा और हरित ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रों के लिए मंत्रालय ने विस्तृत योजना तैयार की है। विशेष रूप से टैक्सी और बीमा क्षेत्र में जल्द ही शानदार शुरुआत की जाएगी। उन्होंने कहा कि सफल सहकारी इकाइयाँ एकजुट होकर नई सहकारी इकाइयाँ बनाएंगी जो नए क्षेत्रों में काम करेंगी, और इसका मुनाफा अंततः ग्रामीण स्तर की पैक्स (PACS) के सदस्यों तक पहुंचेगा।

शाह ने 2034 तक सहकारी क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी रखा। इसके साथ ही, 50 करोड़ नए नागरिकों को सहकारी क्षेत्र का सक्रिय सदस्य बनाने और सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि करने का लक्ष्य भी है। प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक प्राथमिक सहकारी इकाई (जैसे PACS, डेयरी, मत्स्य पालन समिति) स्थापित की जाएगी, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। पारदर्शिता, वित्तीय स्थिरता और संस्थागत विश्वास बढ़ाने के लिए एक क्लस्टर और निगरानी तंत्र भी विकसित किया जाएगा।

जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन और भविष्य की योजनाएं

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार सहकारी संस्थाओं को हर क्षेत्र में सहायता के लिए 24 घंटे तैयार है, लेकिन इकाइयों को स्वयं को मजबूत करना होगा। इसके लिए 83 हस्तक्षेप बिंदुओं की पहचान की गई है, जिनमें से 58 पर काम पूरा हो चुका है। जब सभी राज्य इस नीति को बारीकी से लागू करेंगे, तब एक सर्वसमावेशी, आत्मनिर्भर, और भविष्योन्मुखी मॉडल बनेगा।

उन्होंने बताया कि मॉडल सहकारी गाँव की शुरुआत गांधीनगर में हुई और अब प्रत्येक तहसील में पाँच मॉडल सहकारी गाँव स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। श्वेत क्रांति 2.0 में महिलाओं की सहभागिता को बढ़ाया जाएगा। भविष्य की पीढ़ियों के लिए सहकारिता को देश के विकास का एक महत्वपूर्ण साधन बनाने के लिए अगले दो दशकों में तकनीक को हर छोटी से छोटी इकाई तक पहुँचाया जाएगा, जिससे कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से कार्यप्रणाली में बड़ा परिवर्तन आएगा।

शाह ने अंत में कहा कि आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए यह सहकारिता नीति ग्रामीण, कृषि इकोसिस्टम और देश के गरीब को अर्थतंत्र का विश्वसनीय हिस्सा बनाएगी। यह नीति दूरदृष्टिपूर्ण, व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी है, जिसका लक्ष्य 2047 में देश की आजादी की शताब्दी तक सहकारी आंदोलन को आगे बढ़ाना है।

 

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