भारत में रोजगार क्रांति: 17 करोड़ नई नौकरियां, युवा बेरोजगारी घटी, महिलाओं की भागीदारी 40% पार
भारतीय अर्थव्यवस्था की नई तस्वीर: रोजगार में ऐतिहासिक वृद्धि, महिला सशक्तिकरण की मिसाल
- भारत में 2017-18 से अब तक 17 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा हुईं, कुल रोजगार 64.33 करोड़ पहुंचा।
- युवा बेरोजगारी दर घटकर 10.2% हुई, जो वैश्विक औसत से कम है।
- महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 40.3% के पार, महिलाओं की आर्थिक सक्रियता में बड़ा उछाल।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 जुलाई, 2025: भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाल के वर्षों में रोजगार सृजन के क्षेत्र में प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 से अब तक देश में 17 करोड़ से अधिक नई नौकरियां पैदा हुई हैं, जो भारतीय कार्यबल के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। रोजगार प्राप्त व्यक्तियों की कुल संख्या 2017-18 में 47.5 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 64.33 करोड़ हो गई है। यह वृद्धि न केवल आर्थिक विस्तार का संकेत है, बल्कि युवा बेरोजगारी में गिरावट और कार्यबल में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी जैसे सकारात्मक रुझानों को भी दर्शाती है।
युवा बेरोजगारी में उल्लेखनीय कमी
रोजगार के आंकड़ों में सबसे उत्साहजनक रुझानों में से एक युवा बेरोजगारी दर में गिरावट है। 2017-18 में जहां युवा बेरोजगारी दर 17.8% थी, वहीं 2023-24 तक यह घटकर 10.2% रह गई है। यह गिरावट भारत के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की उपलब्धता में सुधार को दर्शाती है और इसे वैश्विक औसत से भी कम माना जा रहा है। यह प्रवृत्ति कुशल कार्यबल के विकास और शिक्षा एवं कौशल विकास कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन का परिणाम हो सकती है, जिससे युवा बाजार की मांगों के अनुरूप तैयार हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्टार्ट-अप इंडिया, स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी सरकारी पहलों ने युवाओं के लिए स्वरोजगार और उद्यमिता के अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे बेरोजगारी के आंकड़े कम हुए हैं। इसके साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों में निवेश में वृद्धि ने भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया है।
महिला श्रम बल भागीदारी में ऐतिहासिक उछाल
भारत के रोजगार परिदृश्य में सबसे उल्लेखनीय बदलावों में से एक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में जबरदस्त वृद्धि है। 2019-20 में महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio – WPR) 28.7% था, जो 2023-24 तक बढ़कर 40.3% हो गया है। यह 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण छलांग है, जो उनकी आर्थिक सक्रियता और रोजगार बाजार में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
महिला श्रम बल भागीदारी में यह वृद्धि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इसके पीछे सरकार की नीतियों, सामाजिक जागरूकता और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के लिए बढ़ते अवसरों का हाथ हो सकता है। यह दर्शाता है कि अधिक महिलाएं अब उत्पादक रोजगार में संलग्न हो रही हैं, जिससे न केवल उनके परिवारों का आर्थिक उत्थान हो रहा है बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है। यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार के नए रास्तों के खुलने का संकेत है, चाहे वह औपचारिक क्षेत्र हो या स्वरोजगार।
आर्थिक विकास और भविष्य की संभावनाएं
कुल मिलाकर, ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में काम करने योग्य जनसंख्या की उत्पादक रोजगार में उच्च भागीदारी हो रही है। यह आर्थिक विकास और देश के जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने की क्षमता के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह वृद्धि सेवा क्षेत्र, विनिर्माण और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में देखी गई है।
सरकार की रोजगारोन्मुखी नीतियों, जैसे कि उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं, बुनियादी ढांचे का विकास और एमएसएमई (MSME) क्षेत्र को समर्थन, ने इस रोजगार वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो भारत को अपनी युवा आबादी का लाभ उठाने और एक मजबूत, समावेशी अर्थव्यवस्था का निर्माण करने में मदद मिलेगी।