शिव मंदिर विवाद: थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर फिर तनाव

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 जुलाई -भारत से हजारों किलोमीटर दूर एक प्राचीन हिंदू मंदिर, जिसे दुनिया यूनेस्को विश्व धरोहर के रूप में पहचानती है, आज फिर से दो देशों के बीच संघर्ष का केंद्र बन गया है। थाईलैंड और कंबोडिया, जो दोनों ही बौद्ध बहुल और एशियाई सांस्कृतिक राष्ट्र हैं, एक बार फिर प्रेह विहेयर शिव मंदिर (Preah Vihear Temple) को लेकर आमने-सामने आ खड़े हुए हैं। सीमा पर गोलीबारी की पुष्टि दोनों देशों की सेनाओं ने की है। स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।

इस मंदिर का इतिहास भारत की प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा है। 11वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और खमेर शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर वर्तमान में कंबोडिया की सीमा में स्थित है लेकिन इसका भौगोलिक स्थान थाईलैंड की सीमा से इतना सटा हुआ है कि दोनों देश उस पर दावा करते रहे हैं।

पुराने जख्म फिर हरे

यह कोई नया विवाद नहीं है। वर्ष 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने इस मंदिर को कंबोडिया का अधिकार माना था। लेकिन मंदिर के आसपास के इलाके—जो सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं—पर थाईलैंड का दावा बरकरार है। साल 2008 में जब इस मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित किया गया, तो थाईलैंड में विरोध की लहर उठी थी। तब भी दोनों देशों के बीच सीमित युद्ध जैसी स्थिति बनी थी।

अब 2025 में एक बार फिर सेना की तैनाती, बॉर्डर पर तोपों की गड़गड़ाहट, और राजनयिक चेतावनियों के साथ यह पुराना जख्म फिर हरा हो गया है।

एक मंदिर, कई सवाल

प्रेह विहेयर विवाद सिर्फ क्षेत्रीय सीमा को लेकर नहीं है। यह उस विरासत से भी जुड़ा है, जिसे हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति की वैश्विक उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की ऐतिहासिक सांस्कृतिक गहराई का प्रमाण है। पर आज यह वही मंदिर दोनों देशों के बीच युद्ध की वजह बन गया है।

क्या बोले दोनों पक्ष?

कंबोडिया ने आरोप लगाया है कि थाई सेना उसकी सीमा में घुसपैठ कर रही है और मंदिर क्षेत्र पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रही है। वहीं थाईलैंड का दावा है कि वह केवल अपनी सीमा की रक्षा कर रहा है और कंबोडिया ही आक्रामक रवैया अपना रहा है।

दोनों देशों की सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र और आसियान देशों से हस्तक्षेप की मांग की है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय फिलहाल दोनों को संयम बरतने की सलाह दे रहा है।

भारत के लिए सांस्कृतिक चिंता

हालांकि भारत इस विवाद में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है, लेकिन एक हिंदू मंदिर को लेकर हो रहे इस टकराव को वह सिर्फ एक सीमाई संघर्ष नहीं मान सकता। यह उस सांस्कृतिक विरासत की रक्षा से जुड़ा विषय है, जिसकी जड़ें भारतीय सभ्यता में गहरी पैठी हैं।

इस मंदिर को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या संस्कृति और विरासत अब भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति का उपकरण बन रही है?

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