- हर्षवर्धन जैन को STF ने गिरफ्तार किया – गाजियाबाद के कवि नगर से नकली वेस्टार्कटिका दूतावास चलाने के आरोप में
- 7 साल तक चला धोखाधड़ी का जाल – विदेशी नौकरी के नाम पर लाखों की ठगी और हवाला रैकेट
- फर्जी राजनयिक पहचान – डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट की गाड़ियां और नेताजी के साथ मॉर्फ्ड फोटो
समग्र समाचार सेवा
गाजियाबाद, 24 जुलाई, 2025: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने मंगलवार को गाजियाबाद के कवि नगर इलाके से एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। हर्षवर्धन जैन नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जो पिछले 7 सालों से अपने किराए के मकान को नकली दूतावास बनाकर लोगों को धोखा दे रहा था।
जैन खुद को वेस्टार्कटिका देश का कॉन्सुल जनरल बताता था और विदेशी नौकरी दिलाने के नाम पर कंपनियों और व्यक्तियों से बड़ी मात्रा में पैसे ऐंठता था। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि वह शेल कंपनियों के जरिए हवाला रैकेट भी चला रहा था।
कैसे बनाया गया था फर्जी दूतावास का जाल
हर्षवर्धन जैन ने अपनी धोखाधड़ी को विश्वसनीय बनाने के लिए कई चालाकियां अपनाई थीं। उसके पास नकली मोहरें, विदेशी झंडे और डिप्लोमैटिक कॉर्प्स (DC) नंबर प्लेट वाली महंगी गाड़ियां थीं। इन फर्जी नंबर प्लेटों की वजह से वह सुरक्षा जांच से बचता रहा।
जैन ने अपने घर में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ मॉर्फ्ड फोटो भी लगा रखी थी ताकि लोगों को लगे कि वह वास्तव में एक प्रभावशाली राजनयिक है। उसके पास फर्जी आईडी कार्ड, लेटरहेड्स और अन्य आधिकारिक दस्तावेज भी थे।
क्या है वेस्टार्कटिका – एक काल्पनिक देश
वेस्टार्कटिका एक माइक्रोनेशन है, जो वास्तव में कोई देश नहीं है। 2001 में एक अमेरिकी नागरिक ने अंटार्कटिका के एक हिस्से को अपना देश बताने का दावा किया था। लेकिन संयुक्त राष्ट्र समेत भारत के लिए यह कोई मान्यता प्राप्त देश नहीं है।
जैन ने इसी भ्रम का फायदा उठाकर खुद को इस काल्पनिक देश का राजनयिक घोषित कर दिया था। वह अपने को अलग-अलग गैर-मौजूद देशों जैसे “सबोर्गा”, “लोडोनिया”, और “पुल्विया” का राजदूत भी बताता था।
हवाला रैकेट और विदेशी नौकरी का धंधा
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि जैन कंपनियों और व्यक्तियों को विदेशी नौकरी दिलाने के झूठे वादे करके दलाली का काम कर रहा था। वह शेल कंपनियों के जरिए हवाला रैकेट भी चलाता था। जैन ने लंदन से MBA की थी और विदेशों में शेल फर्म भी स्थापित की थीं।
इस धोखाधड़ी के जरिए वह आम लोगों और कंपनियों से बड़ी मात्रा में पैसे वसूल कर रहा था। विदेश जाने के सपने देखने वाले युवाओं को वह नकली दस्तावेज देकर ठगता था।
कैसे हुआ पर्दाफाश
न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, UP STF को किसी ने सूचना दी थी कि यह मामला संदिग्ध है। इसके बाद विदेश मंत्रालय में जांच हुई, जहां पता चला कि वेस्टार्कटिका नाम से कोई देश ही सूची में नहीं है।
22 जुलाई 2025 को नोएडा STF की टीम ने गाजियाबाद के कवि नगर स्थित KB-45 के किराए के मकान पर छापेमारी कर हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया।
जैन का अतीत और संदिग्ध कनेक्शन
यह पहली बार नहीं है जब जैन जांच के दायरे में आया है। 2011 में उसके खिलाफ सैटेलाइट फोन रखने के लिए पुलिस केस दर्ज हुआ था। जांचकर्ताओं ने कुछ फोटो भी बरामद की हैं जिनसे पता चलता है कि वह विवादास्पद “गॉडमैन” चंद्रस्वामी और सऊदी हथियार डीलर अदनान के करीब था।
नकली दूतावास कैसे पकड़े जाते हैं
दूतावास की जांच दो स्तरों पर होती है। पहले, होस्ट देश की जिम्मेदारी है कि वह अपने यहां काम कर रहे सभी दूतावासों पर नजर रखे। विदेश मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों जैसे UN के पास वैध दूतावासों की सूची होती है।
फिर भी नकली दूतावास लंबे समय तक बच जाते हैं क्योंकि स्थानीय स्तर पर भ्रष्ट अधिकारी इनका साथ देते हैं और कई बार अधिकारियों को भी पूरी जानकारी नहीं होती।
कानूनी कार्रवाई और सजा
विएना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमेटिक रिलेशन्स 1961 के अनुसार, कोई भी दूतावास तभी वैध माना जाता है जब होस्ट देश की सहमति से खोला गया हो। ऐसे में अगर कोई खुद ही दूतावास खोल ले तो यह गंभीर अपराध है।
इस मामले में जालसाजी की धाराएं लगेंगी और अगर व्यक्ति लोगों को धोखे से विदेश भेज रहा हो तो मानव तस्करी का आरोप भी लग सकता है। यदि विदेशी तत्व शामिल हों तो देश की सुरक्षा पर खतरा भी माना जा सकता है।
हर्षवर्धन जैन का मामला दिखाता है कि कैसे चालाक अपराधी लोगों के विदेश जाने के सपनों का फायदा उठाकर बड़े घोटाले को अंजाम देते हैं। यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चेतावनी है कि ऐसे फर्जी दूतावासों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।