प्रवर्तन निदेशालय की बड़ी कार्रवाई: चंडीगढ़ में अंतरराष्ट्रीय टेक सपोर्ट स्कैम का भंडाफोड़

चंडीगढ़ ट्राइसिटी में ED का शिकंजा: टेक सपोर्ट स्कैम का इंटरनेशनल रैकेट ध्वस्त

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  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चंडीगढ़ ट्राइसिटी में अंतरराष्ट्रीय टेक सपोर्ट स्कैम का पर्दाफाश किया।
  • यह गिरोह अमेरिकी और यूरोपीय नागरिकों को निशाना बनाकर तकनीकी सहायता के नाम पर ठगी करता था।
  • 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त, आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज।

समग्र समाचार सेवा
चंडीगढ़, 24 जुलाई, 2025: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चंडीगढ़ ट्राइसिटी क्षेत्र में एक बड़े अंतरराष्ट्रीय टेक सपोर्ट स्कैम (तकनीकी सहायता धोखाधड़ी) का भंडाफोड़ किया है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत कई ठिकानों पर छापेमारी की और इस अभियान के तहत 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है। यह कार्रवाई उन गिरोहों के खिलाफ की गई है जो भोले-भाले अमेरिकी और यूरोपीय नागरिकों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के बहाने लाखों डॉलर ठग रहे थे।

कैसे काम करता था यह स्कैम?

ईडी के अनुसार, यह अंतरराष्ट्रीय टेक सपोर्ट स्कैम एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट द्वारा चलाया जा रहा था। इस गिरोह के सदस्य अमेरिका और यूरोपीय देशों के नागरिकों को उनके कंप्यूटर पर फर्जी तकनीकी समस्याओं या सुरक्षा खतरों की चेतावनी वाले पॉप-अप भेजते थे। इन पॉप-अप में टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर दिए होते थे, जिन पर संपर्क करने पर पीड़ितों को धोखेबाज एजेंटों से बात करने के लिए प्रेरित किया जाता था।

ये एजेंट खुद को माइक्रोसॉफ्ट, एपल, गूगल या अन्य प्रतिष्ठित तकनीकी कंपनियों के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करते थे। वे पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते थे कि उनके कंप्यूटर में गंभीर वायरस या सुरक्षा खामियां हैं, और फिर उन्हें इन “समस्याओं” को ठीक करने के लिए महंगी और अनावश्यक सॉफ्टवेयर या सेवाएं खरीदने के लिए मजबूर करते थे। इसके लिए वे रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर का उपयोग कर पीड़ितों के कंप्यूटर तक पहुंच बना लेते थे और उनसे हजारों डॉलर ऐंठ लेते थे। भुगतान आमतौर पर गिफ्ट कार्ड, वायर ट्रांसफर या क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से स्वीकार किया जाता था, जिससे पैसे को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता था।

ईडी की कार्रवाई और संपत्ति की जब्ती

प्रवर्तन निदेशालय ने वित्तीय खुफिया जानकारी और तकनीकी निगरानी के आधार पर इस रैकेट का पता लगाया। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत एक जांच शुरू की। इस जांच के दौरान, चंडीगढ़, मोहाली और पंचकुला सहित ट्राइसिटी के विभिन्न स्थानों पर स्थित कई परिसरों पर एक साथ छापे मारे गए।

छापेमारी के दौरान, ईडी ने 2.5 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियां जब्त कीं, जिनमें बैंक खातों में जमा राशि, लग्जरी वाहन और महंगी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स शामिल हैं। ईडी अधिकारियों ने बताया कि इन संपत्तियों को धोखाधड़ी से अर्जित धन से खरीदा गया था। जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का भी इस्तेमाल किया, जिससे ठगे गए धन को भारत लाया जा सके और उसे वैध बनाया जा सके। आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है, और आगे की जांच जारी है।

साइबर अपराध के खिलाफ बढ़ी सतर्कता

यह कार्रवाई भारत में साइबर अपराध के बढ़ते खतरे और अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी सिंडिकेट के खिलाफ कानून प्रवर्तन एजेंसियों की बढ़ती सतर्कता को दर्शाती है। हाल के दिनों में, भारतीय एजेंसियां ऐसे कई टेक सपोर्ट स्कैम और ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों का पर्दाफाश करने में सफल रही हैं, जिनके तार विदेशों से जुड़े होते हैं। इस तरह के घोटाले न केवल व्यक्तियों को वित्तीय नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि देश की साइबर सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

ईडी की यह सफल कार्रवाई उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है जो साइबर धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल हैं। यह दर्शाता है कि एजेंसियां ऐसे आपराधिक नेटवर्कों पर लगातार नजर रख रही हैं और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आम जनता को भी ऐसे फर्जी टेक सपोर्ट कॉल और पॉप-अप से सावधान रहने की सलाह दी जाती है।

 

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