जब भारत के उपराष्ट्रपति ने दिया इस्तीफा, और मुख्य न्यायाधीश एम. हिदायतुल्ला बने थे कार्यवाहक राष्ट्रपति!

वी.वी. गिरि का इस्तीफा और एम. हिदायतुल्ला का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनना: एक दुर्लभ संवैधानिक घटना

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अशोक कुमार
हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। हालांकि, भारतीय संवैधानिक इतिहास में यह पहला मौका नहीं है जब उपराष्ट्रपति पद अचानक रिक्त हुआ हो। आज से कई साल पहले, 1969 में ऐसी ही एक स्थिति बनी थी, जब तत्कालीन उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद जो संवैधानिक स्थिति उत्पन्न हुई, उसे संभालने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश को कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभानी पड़ी थी। यह घटना भारतीय संविधान की लचीली प्रकृति और इसके निर्माताओं की दूरदर्शिता को दर्शाती है।

1969 का राजनीतिक परिदृश्य और राष्ट्रपति का निधन

यह घटना तब हुई जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ज़ाकिर हुसैन का 3 मई, 1969 को कार्यकाल के दौरान निधन हो गया। राष्ट्रपति के निधन के बाद, संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला। लेकिन, परिस्थितियाँ तब और नाटकीय हो गईं जब वी.वी. गिरि ने स्वयं आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में एक उम्मीदवार के रूप में खड़े होने का फैसला किया। इसके लिए उन्हें 20 जुलाई, 1969 को कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों पदों से इस्तीफा देना पड़ा।

वी.वी. गिरि का यह कदम देश के लिए एक अनूठी संवैधानिक चुनौती लेकर आया, क्योंकि अब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद रिक्त हो चुके थे। ऐसी स्थिति के लिए संविधान में सीधे तौर पर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।

संवैधानिक संकट और समाधान: मुख्य न्यायाधीश की भूमिका

जब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद रिक्त हो जाते हैं, तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 65 (2) के तहत ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए एक समाधान प्रदान किया गया है। यह अनुच्छेद कहता है कि यदि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों का पद रिक्त हो जाता है, तो संसद कानून द्वारा यह प्रावधान कर सकती है कि कौन राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करेगा। इसी प्रावधान के तहत, राष्ट्रपति (कार्यों का निर्वहन) अधिनियम, 1969 बनाया गया था।

इस अधिनियम के अनुसार, यदि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों का पद रिक्त है, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेंगे। इसी के तहत, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एम. हिदायतुल्ला ने 20 जुलाई, 1969 को वी.वी. गिरि के इस्तीफे के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला। उन्होंने 24 अगस्त, 1969 तक इस पद पर कार्य किया, जब तक कि वी.वी. गिरि स्वयं राष्ट्रपति चुनाव जीतकर इस सर्वोच्च पद पर आसीन नहीं हो गए।

एम. हिदायतुल्ला का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनना भारतीय संवैधानिक इतिहास की एक महत्वपूर्ण और दुर्लभ घटना थी, जिसने भविष्य के लिए एक मिसाल कायम की। यह दर्शाता है कि भारतीय संवैधानिक प्रणाली कितनी सुदृढ़ और आत्म-सुधार योग्य है, जो अप्रत्याशित परिस्थितियों में भी नेतृत्व के वैक्यूम को भरने में सक्षम है।

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