पंकज चौधरी मामला: राजस्थान के 3 IAS अधिकारियों पर अवमानना के आरोप

पंकज चौधरी केस: राजस्थान के 3 IAS पर अवमानना का शिकंजा, क्या फंसेगी सरकार?

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  • आईपीएस पंकज चौधरी से जुड़े एक मामले में राजस्थान के तीन आईएएस अधिकारियों पर अवमानना का आरोप।
  • यह मामला पंकज चौधरी के सेवा बर्खास्तगी और डिमोशन से संबंधित अदालती आदेशों के पालन में कथित देरी से जुड़ा है।
  • आरोप है कि अधिकारियों ने न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी की।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 जुलाई 2025: राजस्थान कैडर के चर्चित आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी से जुड़े एक मामले में राज्य के तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों पर न्यायालय की अवमानना का आरोप लगा है। यह मामला पंकज चौधरी की सेवा बर्खास्तगी और उसके बाद हुए डिमोशन (पद अवनति) से संबंधित अदालती आदेशों के कथित उल्लंघन से जुड़ा है। इन आरोपों ने राज्य के प्रशासनिक गलियारों में एक बार फिर हलचल मचा दी है, और यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन अधिकारियों की लापरवाही या जानबूझकर की गई अनदेखी सरकार के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

क्या है पूरा मामला: डिमोशन और अदालती फैसले

आईपीएस पंकज चौधरी, जो 2009 बैच के अधिकारी हैं, अपने करियर में कई बार विवादों में रहे हैं। उन्हें 2019 में कथित तौर पर अपनी पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी करने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, उन्होंने इस फैसले को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT), दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। इन तीनों अदालतों ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और उनकी बर्खास्तगी को गलत बताते हुए उन्हें सेवा में बहाल करने का आदेश दिया।

हालांकि अदालती आदेश उनके पक्ष में आए, लेकिन राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने हाल ही में (फरवरी 2025 में) उन्हें तीन साल के लिए लेवल 11 सीनियर पे स्केल से लेवल 10 जूनियर पे स्केल में डिमोट (पद अवनत) करने का आदेश जारी कर दिया। यह लेवल एक नए आईपीएस अधिकारी को ज्वाइनिंग के समय मिलता है। पंकज चौधरी ने इस डिमोशन को “अवैध” और “अदालत की अवमानना” करार दिया है, क्योंकि उनके अनुसार, न्यायालयों ने इस मामले में पहले ही उनके पक्ष में फैसला सुनाया था।

तीन IAS अधिकारियों पर अवमानना का आरोप

सूत्रों के अनुसार, पंकज चौधरी के मामले से जुड़े रहे राजस्थान के तीन आईएएस अधिकारियों पर न्यायालय के आदेशों का पालन न करने और जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया गया है। इन अधिकारियों की भूमिका इस बात की जांच के दायरे में है कि क्या उन्होंने अदालती निर्देशों की उचित समय-सीमा में अनदेखी की, जिसके कारण पंकज चौधरी को अनावश्यक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ा और अंततः उनके डिमोशन का आदेश जारी हुआ।

पंकज चौधरी का कहना है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई उन अदालती फैसलों के बावजूद की गई है जो उनके पक्ष में चार साल पहले ही आ चुके थे। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण इरादे से की गई है और वे इसे अदालत में चुनौती देंगे। यह मामला अब केवल पंकज चौधरी के व्यक्तिगत करियर तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसने राजस्थान सरकार और उसके कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

प्रशासनिक गलियारों में हलचल और आगे की राह

इस मामले ने राजस्थान के प्रशासनिक हलकों में एक बार फिर गर्माहट ला दी है। आईएएस अधिकारियों पर अवमानना के आरोप गंभीर होते हैं और यदि ये आरोप साबित होते हैं, तो संबंधित अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। यह घटना सरकार के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है, क्योंकि यह न्यायपालिका के आदेशों के प्रति प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े करती है।

इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या तीनों आईएएस अधिकारियों को अवमानना के आरोपों का सामना करना पड़ेगा? क्या सरकार इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी? और क्या पंकज चौधरी को अंततः न्याय मिल पाएगा? ये सभी सवाल आने वाले समय में राजस्थान की राजनीति और प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।

 

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