समग्र समाचार सेवा
ओडिशा 22 जुलाई – ओडिशा में राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) के अध्यक्ष उदित प्रधान को एक छात्रा के साथ कथित यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह मामला राज्य में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में गहरी हलचल पैदा कर रहा है। इस घटना के बाद एबीवीपी (ABVP) और भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला करते हुए इसे “दोहरे मानदंड” और “नारी सुरक्षा पर खोखले वादों” का उदाहरण बताया है।
क्या है मामला?
पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, उदित प्रधान ने पहले दोस्ती का नाटक किया और फिर निजी मुलाकात के बहाने उसे बुलाकर शारीरिक शोषण किया। इसके बाद, उसे चुप रहने की धमकियां दी गईं। जब पीड़िता ने विरोध किया, तो उसे मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
शिकायत के आधार पर पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज किया और जाँच के बाद उदित प्रधान को हिरासत में ले लिया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मामले में तकनीकी साक्ष्य और पीड़िता के बयान के आधार पर प्रथम दृष्टया आरोप पुष्ट होते हैं।
एबीवीपी और भाजयुमो का हमला
एनएसयूआई अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद एबीवीपी और भाजयुमो ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला है। एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा:
“कांग्रेस पार्टी नारी सुरक्षा, समानता और सम्मान की बात तो करती है, लेकिन जब उनके ही संगठन से जुड़े व्यक्ति पर गंभीर आरोप लगते हैं, तब वह चुप्पी साध लेती है। यह दोहरा चरित्र अब देश के युवा पहचान चुके हैं।”
भाजयुमो की ओर से भी बयान जारी कर कहा गया:
“कांग्रेस ने ‘लड़कियां बचाओ’ का नारा सिर्फ दूसरों को निशाना बनाने के लिए दिया था, लेकिन अपने ही नेताओं पर चुप्पी साध लेना उसके नैतिक दिवालियेपन का संकेत है।”
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस की ओर से फिलहाल कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार पार्टी ने राज्य स्तर पर जांच रिपोर्ट मांगी है। वहीं, एनएसयूआई के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों ने इस घटना को “व्यक्तिगत आचरण” कहकर संगठन से जोड़ने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि “कानून अपना काम करेगा और यदि दोष सिद्ध हुआ तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
राजनीतिक असर
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब कांग्रेस राज्य में युवा संगठन को मजबूत करने में लगी थी। उदित प्रधान की गिरफ्तारी से संगठन की छवि को गहरी चोट पहुँची है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना आगामी छात्र संघ चुनावों और शहरी मतदाताओं पर प्रतिकूल असर डाल सकती है ।
उदित प्रधा न की गिरफ्तारी केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि क्या राजनैतिक दल अपने युवा नेताओं पर नियंत्रण रखने और नैतिक जवाबदेही सुनिश्चित करने में विफल हो रहे हैं? इस घटना ने कांग्रेस के महिला सशक्तिकरण के दावों की सच्चाई पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि कांग्रेस इस संकट से कैसे उबरती है और क्या वाकई दोषियों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई होती है या मामला दबा दिया जाएगा।