समग्र समाचार सेवा
मुंबई ,22 जुलाई -मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए भयानक सीरियल ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दोषियों की सजा रद्द किए जाने के फैसले को महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले को “बेहद चौंकाने वाला और पीड़ितों के साथ अन्याय” बताया है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा,
“मुंबई की लोकल ट्रेनों में 2006 में हुए विस्फोट देश की आत्मा पर हमला था। बॉम्बे हाईकोर्ट का हालिया फैसला न केवल आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई को कमजोर करता है, बल्कि उन 189 निर्दोष नागरिकों की शहादत का भी अपमान है। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।”
गौरतलब है कि 11 जुलाई 2006 को मुंबई की भीड़भरी लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक 7 विस्फोट हुए थे, जिसमें 189 लोग मारे गए और 800 से अधिक घायल हुए थे। इस भयावह हमले के बाद महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने 13 लोगों को गिरफ्तार किया था।
वर्ष 2015 में एक स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में 12 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें मौत और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कई तकनीकी आधारों पर इन दोषियों की सजा को रद्द करते हुए कहा कि पर्याप्त सबूत नहीं हैं जिससे इनका अपराध सिद्ध हो सके।
सरकार और पीड़ित परिवारों में रोष
राज्य सरकार के साथ-साथ पीड़ित परिवारों ने भी हाईकोर्ट के इस फैसले पर गहरी नाराज़गी जताई है। पीड़ितों के परिजनों का कहना है कि न्याय की प्रतीक्षा करते-करते उन्हें 19 साल हो गए, और अब यह फैसला उनके घावों को और गहरा कर गया है।
महाराष्ट्र सरकार के प्रवक्ता ने कहा,
“यह केवल कानूनी मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। हम पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखेंगे।”
इस बीच राज्य के गृह विभाग ने विशेष अभियोजन टीम को निर्देश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट में अपील की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।
मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट को देश के इतिहास का सबसे भयावह आतंकी हमला माना जाता है। बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से जहां कानूनी बहस तेज हो गई है, वहीं महाराष्ट्र सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर न्याय की लड़ाई को अंतिम मुकाम तक ले जाने की तैयारी में है।