संसद का मानसून सत्र शुरू: ‘ऑपरेशन सिंदूर’, ट्रंप के दावे और बिहार वोटर लिस्ट पर घमासान तय
विपक्ष ने PM मोदी से माँगा जवाब, सरकार चर्चा को तैयार
- संसद का मानसून सत्र आज से शुरू, विपक्ष ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ट्रंप के दावों पर PM मोदी से बयान चाहता है।
- बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR) को लेकर भी हंगामा तय, विपक्ष ने इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ बताया।
- सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह सभी मुद्दों पर नियमानुसार चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है, कई नए विधेयक भी लाए जाएंगे।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 जुलाई 2025: भारतीय संसद का बहुप्रतीक्षित मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है। सत्र के आगाज के साथ ही राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है, क्योंकि विपक्ष ने सरकार को कई ज्वलंत मुद्दों पर घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। इनमें हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले, भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’, अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादास्पद दावे और बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। सरकार ने संकेत दिया है कि वह नियमों और परंपराओं के अनुसार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे इन गंभीर मामलों पर बयान देने की मांग कर रहा है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ट्रंप के दावों पर PM मोदी से जवाब की मांग
सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में, विपक्षी दलों ने एक स्वर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की मांग की, विशेष रूप से अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन लगातार दावों को लेकर जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने का श्रेय लिया है। ट्रंप ने यहां तक दावा किया है कि इस हवाई संघर्ष के दौरान ‘पांच जेट’ गिराए गए थे। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि ट्रंप के ऐसे बयान भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाते हैं और प्रधानमंत्री मोदी को इस पर संसद में स्पष्टीकरण देना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री से पूछा है कि “5 जेट का सच क्या है?”
वहीं, सरकार ने इस पर सधा हुआ रुख अपनाया है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया को बताया कि सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है और संसद में उचित जवाब देगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भी इस मुद्दे पर सदन में बयान देने की संभावना है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट कहा है कि “दुनिया की कोई भी ताकत भारत को यह निर्देश नहीं दे सकती कि वह अपने मामलों को कैसे संभाले।” उन्होंने यह भी दोहराया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी ‘खत्म नहीं हुआ है’ और भारत ने आतंकवादियों को ‘सबक सिखाया है’।
पहलगाम आतंकी हमला: दोषियों को न्याय दिलाने की मांग
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नृशंस आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई और मिसाइल हमले किए थे। इन हमलों का मकसद जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करना था। विपक्ष ने इस हमले में हुई चूक और दोषियों को अब तक न्याय न मिलने पर भी संसद में चर्चा की मांग की है। भारत सरकार ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि ये हमले आतंकवाद के खिलाफ उसकी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का हिस्सा थे। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले भी कहा था कि “सिंदूर पोंछने का अंजाम अब हर आतंकी को पता है” और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न्याय की एक “अखंड प्रतिज्ञा” है।
बिहार मतदाता सूची विवाद: ‘लोकतंत्र पर हमले’ का आरोप
सत्र के दौरान बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर भी तीखी बहस होने की संभावना है। विपक्ष, विशेष रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD), इस प्रक्रिया को सत्तारूढ़ गठबंधन को फायदा पहुंचाने और अपने खिलाफ मतदाताओं के नाम हटाने की ‘साजिश’ बता रहा है। बिहार में 41 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाने का खतरा है, जिनमें वे लोग शामिल हैं जो ‘ट्रेस नहीं हो पाए’, मृत हैं या दूसरी जगह चले गए हैं। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाने के लिए है और 11,000 ‘ट्रेस नहीं हो पाए’ मतदाता अवैध अप्रवासी हो सकते हैं। नए नियमों के तहत, नए मतदाताओं या दूसरे राज्यों से आने वालों को फॉर्म 6 या फॉर्म 8 के साथ ‘अतिरिक्त घोषणा पत्र’ भरना होगा, जिसमें माता-पिता के जन्म प्रमाण जैसे विवरण शामिल होंगे। विपक्ष इसे नागरिकों के मतदान अधिकारों के लिए खतरा मान रहा है।
सरकार का एजेंडा और सत्र की उम्मीदें
सरकार ने मानसून सत्र के लिए 17 विधेयक पारित करने का लक्ष्य रखा है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण आयकर विधेयक, 2025 है, जो छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा। इसका उद्देश्य कर कानूनों को सरल बनाना और मुकदमों की गुंजाइश को कम करना है। इसके अलावा, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार और अन्य वित्तीय व संशोधन विधेयक भी लाए जाएंगे।
कुल मिलाकर, संसद का यह मानसून सत्र बेहद हंगामेदार रहने की उम्मीद है। विपक्ष आक्रामक रुख अपनाए हुए है और सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार होने का दावा कर रही है। देश की निगाहें संसद पर होंगी कि क्या महत्वपूर्ण विधायी कार्य सुचारू रूप से आगे बढ़ पाएंगे या राजनीतिक टकराव हावी रहेगा।