युवा जदयू नेता हर्षित कुमार गिरफ्तार, साइबर ठगी के बड़े रैकेट का खुलासा संभव
कोरोना काल में पटना से लौटे हर्षित पर ठगी का आरोप, घर से ही चल रहा था नेटवर्क!
- हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी: युवा जदयू के प्रदेश सचिव हर्षित कुमार को साइबर ठगी के आरोप में सुपौल से हिरासत में लिया गया।
- संदिग्ध जीवनशैली: हर्षित कोरोना काल से गांव में रह रहा था और अक्सर बंद कमरे में बॉडीगार्ड के साथ बाहर निकलता था।
- बड़े खुलासे की उम्मीद: पुलिस को आशंका है कि हर्षित का संबंध देशव्यापी साइबर ठगी के बड़े नेटवर्क से हो सकता है।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 21 जुलाई 2025: बिहार की राजनीति और अपराध जगत में आज एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के युवा प्रदेश सचिव हर्षित कुमार को साइबर ठगी के एक बड़े मामले में हिरासत में लिया गया है। सुपौल जिले की पुलिस और पटना की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की टीम ने संयुक्त छापेमारी कर करजाइन थाना क्षेत्र के गोसपुर गांव से हर्षित को पकड़ा। इस गिरफ्तारी के बाद पुलिस को देशव्यापी साइबर ठगी के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा होने की प्रबल संभावना है, जिसके तार कई अन्य राज्यों से जुड़े हो सकते हैं।
बंद कमरे का रहस्य और बॉडीगार्ड वाला रुतबा
हर्षित कुमार का जीवन गांव में किसी रहस्य से कम नहीं था। कोरोना काल में पटना से अपनी पढ़ाई छोड़कर घर लौटे हर्षित का जीवनशैली पूरी तरह बदल गई थी। वह ज्यादातर अपने कमरे में ही बंद रहा करता था, और गांव में भी उसका किसी से खास मेलजोल नहीं था। परिजन और ग्रामीण भी नहीं जानते थे कि वह बंद कमरे के अंदर क्या करता है। हालांकि, जब भी वह घर से बाहर निकलता था तो उसके साथ हमेशा बॉडीगार्ड मौजूद रहते थे। लोगों को सिर्फ इतना पता था कि वह रियल एस्टेट के काम से अच्छी खासी कमाई करता होगा, लेकिन उसके पीछे का ‘स्याह सच’ क्या है, यह स्पेशल टीम की जांच के बाद ही साफ हो पाएगा। पुलिस ने उसके लैपटॉप, सिम, मोबाइल और कुछ संदिग्ध दस्तावेज जब्त कर लिए हैं और उनकी गहन जांच जारी है।
घर से ही चला रहा था साइबर ठगी का नेटवर्क!
पुलिस सूत्रों के अनुसार, हर्षित कुमार पर साइबर ठगी के एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा होने का गंभीर आरोप है। बताया जा रहा है कि वह अपने घर से ही इस अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। सुपौल पुलिस और ईओयू की टीम ने साइबर फ्रॉड से जुड़े गुप्त इनपुट के आधार पर उसके घर पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान पुलिस ने हर्षित के पास से कुछ मशीनें, लैपटॉप और कई संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद किए, जो उसके साइबर ठगी में शामिल होने की ओर इशारा कर रहे हैं। उसे हिरासत में लेने के बाद पटना मुख्यालय ले जाया गया है, जहां उससे आगे की पूछताछ जारी है।
एसपी की मौजूदगी और बड़े खुलासे की उम्मीद
इस महत्वपूर्ण छापेमारी में एसपी शरथ आरएस भी विशेष टीम के साथ मौजूद रहे। प्रारंभिक पूछताछ के बाद, अधिकारियों को आशंका है कि यह मामला साइबर फ्रॉड के एक बहुत बड़े रैकेट से जुड़ा हो सकता है। यह रैकेट संभवतः केवल बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार देश के कई अन्य राज्यों तक फैले हो सकते हैं। पुलिस के साथ आई स्पेशल टीम हर्षित के घर से जब्त किए गए सभी सामानों की बारीकी से जांच कर रही है, ताकि इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचा जा सके। हालांकि, इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, कोसी रेंज के डीआईजी मनोज कुमार और एसपी शरथ आरएस फिलहाल मीडिया को कोई भी विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर रहे हैं।
जदयू के लिए शर्मिंदगी का विषय
हर्षित कुमार का जदयू का प्रदेश सचिव होना पार्टी के लिए एक शर्मिंदगी का विषय बन गया है। यह घटना सत्ताधारी पार्टी के एक युवा नेता के आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है, जिससे पार्टी की छवि पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में जदयू को इस मामले पर जल्द ही कोई स्पष्टीकरण या कार्रवाई करनी पड़ सकती है। इस गिरफ्तारी से राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है, और विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर सकता है। पुलिस जांच और उसके बाद होने वाले खुलासे बिहार में साइबर अपराध के बढ़ते दायरे और उसके राजनीतिक कनेक्शन को उजागर कर सकते हैं।