संसद सत्र: प्रमुख मुद्दों पर सरकार बहस को तैयार
संसद का मानसून सत्र: गहमागहमी के बीच अहम मुद्दों पर बहस
- माननीय प्रधानमंत्री जी संसद परिसर में सदैव उपस्थित रहते हैं।
- सरकार ने आगामी मानसून सत्र के लिए 17 विधेयक तैयार किए हैं।
- सभी राजनीतिक दलों की सहमति से सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलेगी।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20 जुलाई 2025:भारतीय संसद का बहुप्रतीक्षित मानसून सत्र सोमवार, 21 जुलाई को शुरू होने जा रहा है, और सरकार ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वह सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक के बाद इस बात की पुष्टि की। लगभग 90 मिनट तक चली इस बैठक में सरकार ने विपक्षी दलों के विचारों को ध्यान से सुना और उनकी चिंताओं पर गौर किया।
विपक्ष की प्रमुख मांगें और सरकार का रुख
बैठक के दौरान, विपक्षी दलों ने विशेष रूप से “ऑपरेशन सिंदूर” और पहलगाम में हुए दुर्भाग्यपूर्ण आतंकवादी हमले जैसे संवेदनशील मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सदन में उपस्थिति की मांग की। इस पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री हमेशा संसद परिसर में मौजूद रहते हैं, भले ही वे हर बहस में सीधे भाग न लें। सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि वे विपक्ष द्वारा उठाए गए सभी सवालों का जवाब देने और सभी विषयों पर खुली बहस के लिए तैयार हैं।
नए विधेयक और अन्य चर्चा के विषय
सरकार ने इस मानसून सत्र के लिए कुल 17 विधेयक तैयार किए हैं जिन्हें सदन में पेश किया जाएगा। इन विधेयकों पर व्यापक चर्चा अपेक्षित है। विपक्षी दलों ने इन प्रमुख मुद्दों के अलावा भी कई अन्य विषयों पर चर्चा की मांग की है। इनमें पहलगाम के उपराज्यपाल द्वारा दिए गए बयान, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत-पाकिस्तान पर हालिया बयान, बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ सीमा पर ‘टू-फ्रंट एक्सिस’ की स्थिति, और मणिपुर की मौजूदा स्थिति जैसे मुद्दे शामिल हैं।
न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
एक और महत्वपूर्ण विषय जिस पर इस सत्र में ध्यान केंद्रित रहेगा, वह है न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ लाया जाने वाला महाभियोग प्रस्ताव। उनके आवास से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है। 100 से अधिक सांसदों ने इस महाभियोग प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है। हालांकि, इसे सदन में पेश करने की कोई निश्चित समय-सीमा अभी तक नहीं बताई गई है। यह घटनाक्रम निश्चित रूप से सत्र के दौरान गरमागरम बहस का विषय बनेगा।
संसद के सुचारु संचालन की जिम्मेदारी
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संसद के सुचारु संचालन की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की है। उन्होंने सभी दलों से सहयोग की अपील की ताकि महत्वपूर्ण विधायी कार्य और सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा सफलतापूर्वक हो सके। सरकार छोटे दलों को भी बहस में पर्याप्त समय देने पर विचार करेगी, ताकि सभी आवाजों को सुना जा सके। यह सत्र न केवल महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने के लिए बल्कि देश के सामने मौजूद गंभीर चुनौतियों पर सार्थक बहस के लिए भी एक मंच प्रदान करेगा।