समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली/लक्षद्वीप, 20 जुलाई : भारत सरकार ने लक्षद्वीप के अत्यंत सामरिक महत्व वाले बिटरा द्वीप को सैन्य दृष्टि से सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने और अरब सागर में अपनी रणनीतिक पकड़ को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत ने बिटरा द्वीप पर नौसेना की तैनाती और बुनियादी ढांचे के विकास की प्रक्रिया शुरू की है।
बिटरा द्वीप, जो लक्षद्वीप द्वीप समूह का सबसे छोटा और उत्तर में स्थित द्वीप है, अब भारत की समुद्री रणनीति का अहम केंद्र बनने जा रहा है। अभी तक यह द्वीप पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील और न्यूनतम जनसंख्या वाला क्षेत्र माना जाता था, लेकिन इसके भौगोलिक स्थान को देखते हुए इसे एक उभरते हुए सामरिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
रणनीतिक महत्व क्यों?
बिटरा द्वीप पश्चिमी समुद्री सीमा के निकट स्थित है और भारत की पश्चिमी समुद्री रक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अरब सागर में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारत के लिए यह आवश्यक हो गया था कि वह इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करे।
नौसैनिक आधार और रडार निगरानी प्रणाली का विकास
सरकार ने यहां उन्नत रडार निगरानी प्रणाली, समुद्री संचार केंद्र, और छोटे स्तर की नौसैनिक संचालन इकाइयों के लिए आवश्यक आधारभूत ढांचे के निर्माण को मंजूरी दी है। इससे भारतीय नौसेना को दुश्मन की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखने में मदद मिलेगी।
स्थानीय जनसंख्या की भूमिका
बिटरा द्वीप पर लगभग 300 की जनसंख्या है, जिनमें अधिकतर मछुआरे हैं। केंद्र सरकार द्वारा उन्हें आश्वासन दिया गया है कि सैन्य विकास के दौरान स्थानीय आजीविका और पारिस्थितिकी संतुलन का पूरा ध्यान रखा जाएगा। सरकार यहां के युवाओं को नौसैनिक अभियानों में सहायक भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित करने की योजना भी बना रही है।
भविष्य की दिशा
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, बिटरा द्वीप का सैन्यकरण भारत को मलक्का जलडमरूमध्य से लेकर पश्चिमी हिंद महासागर तक निगरानी क्षमता प्रदान करेगा। यह ना केवल चीन की ‘String of Pearls’ रणनीति का जवाब है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की प्रभुत्वशाली स्थिति को भी दर्शाता है।
बिटरा द्वीप पर भारत का यह नया कदम न केवल नौसेना की ताकत को बढ़ाएगा, बल्कि इसे समुद्री शक्ति के रूप में एक नई ऊंचाई देगा। आने वाले वर्षों में यह द्वीप भारत की समुद्री नीति का एक अहम स्तंभ बनकर उभरेगा।