अमेरिका ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया

पहलगाम हमले के बाद अमेरिका की बड़ी कार्रवाई, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में मील का पत्थर

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  • अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) घोषित किया।
  • यह निर्णय 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आया, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई थी।
  • भारत ने अमेरिका के इस कदम का स्वागत किया, इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका सहयोग का मजबूत प्रमाण बताया।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19 जुलाई 2025: संयुक्त राज्य अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मुखौटा संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को आधिकारिक तौर पर एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और एक विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) घोषित कर दिया है। यह महत्वपूर्ण कदम 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद आया है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी।

पहलगाम हमला: भारत में 2008 के बाद का सबसे घातक हमला

अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान जारी कर कहा कि TRF, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक मोहरा और प्रॉक्सी है, ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। अमेरिकी अधिकारियों ने इस हमले को 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर किया गया सबसे घातक आतंकी हमला बताया है। बयान में यह भी कहा गया है कि TRF ने 2024 सहित हाल के वर्षों में भारतीय सुरक्षा बलों पर कई हमलों की भी जिम्मेदारी ली है।

भारत-अमेरिका आतंकवाद विरोधी सहयोग का मजबूत प्रमाण

भारत ने अमेरिका के इस फैसले का गर्मजोशी से स्वागत किया है। भारत में अमेरिकी दूतावास ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में अमेरिकी सरकार को धन्यवाद दिया और आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ स्थिति को दोहराया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस कदम को “भारत-अमेरिका आतंकवाद विरोधी सहयोग की एक मजबूत पुष्टि” बताया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रति भारत की “जीरो टॉलरेंस” की नीति जारी रहेगी और वह अपने सभी अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर आतंकवादियों के साथ-साथ उनके समर्थकों को भी जवाबदेह ठहराने के लिए काम करता रहेगा।

TRF: लश्कर-ए-तैयबा का एक नया चेहरा

‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) का गठन अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के कुछ समय बाद हुआ था। इसे अक्टूबर 2019 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा द्वारा खड़ा किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर में जारी आतंकवाद को एक ‘स्थानीय’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ आंदोलन का रूप देना था, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की छवि खराब न हो और वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसी संस्थाओं की जांच से बच सके। भारत सरकार ने 5 जनवरी 2023 को ही TRF को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 के तहत एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था।

प्रतिबंधों के निहितार्थ: TRF पर बढ़ेगा दबाव

TRF को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करने से इस समूह और इसके सदस्यों पर कड़े वित्तीय और यात्रा प्रतिबंध लागू होंगे। अमेरिकी कानून के तहत, किसी भी व्यक्ति या संस्था के लिए TRF को जानबूझकर ‘भौतिक समर्थन या संसाधन’ प्रदान करना अब एक अपराध होगा। इसके सदस्यों और समर्थकों के अमेरिका में प्रवेश पर भी रोक लग जाएगी। साथ ही, अमेरिकी वित्तीय संस्थानों को TRF से संबंधित किसी भी धन या संपत्ति को अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) को रिपोर्ट करना होगा। ये कदम TRF के संचालन और फंडिंग नेटवर्क पर बड़ा प्रहार करेंगे।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव

पहलगाम हमले के प्रतिशोध में, भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया था, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकवादी बुनियादी ढांचा स्थलों को निशाना बनाया गया था। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के निरंतर आतंकवाद के समर्थन को उजागर करने और उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने के लिए 33 वैश्विक राजधानियों में बहु-दलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे थे। अमेरिका का यह निर्णय पाकिस्तान के लिए एक और झटका है, जिसने अतीत में संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर TRF का बचाव करने की कोशिश की थी।

आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह कार्रवाई ट्रम्प प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करने, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले के लिए न्याय के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प के आह्वान को लागू करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद से निपटने में गहरी सहयोग और साझा प्रतिबद्धता को मजबूत करता है, जो वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

 

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