“75 साल का वोटर फर्ज़ी राज: सीमांचल से रायसीना तक”
न्यूज़ रूम के परदे के पीछे कड़ी नंबर 03 – न्यूज़रूम से न्यायपालिका तक: डॉ. पांडेय का 'फर्ज़ी राज' पर खुलासा
डॉ. अजय कुमार पांडेय – पत्रकार | अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
“ग़ल्फ़ में स्मगलिंग के गैंग से लेकर बिहार में वोट की स्मगलिंग तक — मेरी पत्रकार से वकील बनने की यात्रा में एक सच्चाई हमेशा सामने आई: सत्ता हमेशा शॉर्टकट ढूंढती है, और भारत में ये शॉर्टकट होता है — वोटर लिस्ट।”
कांग्रेस ने शुरू किया था वोट का गोरखधंधा – और बिहार बना इसकी प्रयोगशाला
आज हम ईवीएम हैकिंग की बात करते हैं। लेकिन जरा पीछे जाएं, जब लोकतंत्र नया-नया था — उस दौर में ‘बूथ कैप्चरिंग’ नाम का हथियार ईजाद हुआ। और इसे जन्म दिया गया बिहार की धरती पर, बेगूसराय की धुंए और बारूद से भरी गलियों में।
इस खेल का सरगना था — कम देव सिंह, एक कुख्यात तस्कर, जो कांग्रेस का जानदार भक्त था। उसका मिशन था — कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) को किसी भी हालत में हराना। उस दौर में सीपीआई कोई विचारधारा नहीं, एक जनांदोलन थी — खासकर बेगूसराय-बेगूसराय-बरौनी इंडस्ट्रियल बेल्ट में।
कम देव सिंह ने कांग्रेस की राजनीतिक छाया में बूथों पर कब्जा करना, बैलट भरना, विरोधियों को डराना, और चुनाव को हिंसा का पर्याय बना दिया। सिस्टम आँख मूंदे खड़ा रहा। क्यों? क्योंकि कांग्रेस को डर था कि अगर मेरिट से चुनाव हुआ, तो CPI उन्हें उड़ा देगी। इसलिए ‘कम देव’ जैसे किरदार पूरे देश में उग आए।
आज की विडंबना देखिए — कांग्रेस, CPI और लालू यादव की RJD एक ही मंच पर खड़े हैं।
कांग्रेस ने बूथ कैप्चरिंग को जन्म दिया।
CPI उसकी पहली शिकार बनी।
फिर RJD ने दोनों का अंत किया।
और आज तीनों “धार्मिक सहिष्णुता” के नाम पर गलबहियां डाले घूम रहे हैं।
सीमांचल: फर्ज़ी वोटर बनाने की नई फैक्ट्री
बात यहीं खत्म नहीं होती। कहानी अब सीमांचल की ओर रुख करती है — किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जैसे ज़िले, जहाँ अब बूथ कैप्चरिंग नहीं, बल्कि जनसंख्या कैप्चरिंग होती है।
यहां पूरी की पूरी आबादी वोटर लिस्ट में घुसाई जा रही है — बांग्लादेशी घुसपैठिए, फर्जी राशन कार्ड, एक ही आदमी के कई वोट, और विरोधी जातियों के नाम सुनियोजित तरीके से हटाए जा रहे हैं।
और जैसे ही वोटर लिस्ट की जांच शुरू होती है, ये दल चिल्लाते हैं — “साज़िश है!”
“जो फर्ज़ी के दम पर सत्ता में हैं, वो असली वोटर से डरते हैं।”