समग्र समाचार सेवा
लद्दाख, 16 जुलाई-भारतीय सेना ने क्षेत्र में 15,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर स्वदेशी रूप से विकसित आकाश प्राइम एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। इस परीक्षण को सेना की एयर डिफेंस यूनिट और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में अंजाम दिया गया। परीक्षण के दौरान आकाश प्राइम मिसाइल सिस्टम ने बेहद तेज़ गति से उड़ने वाले दो लक्ष्यों पर सीधे वार किए, जो कि उच्च वायुमंडलीय क्षेत्र में हुए।
इस प्रणाली को भारतीय सेना की तीसरी और चौथी आकाश वायु रक्षा रेजिमेंट में शामिल किया जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, आकाश प्राइम ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था, जहां इसने पाकिस्तान की सेना के चीनी विमानों और तुर्की ड्रोन से किए गए हवाई हमलों को प्रभावी ढंग से नष्ट किया था।
इसके अतिरिक्त, भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने लद्दाख में एकीकृत फायरिंग अभ्यास भी आयोजित किया। इस अभ्यास का उद्देश्य नए युग के हथियारों और तकनीकों के साथ सेना की सामूहिक शक्ति का मूल्यांकन और समन्वय बढ़ाना था। सेना ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर जानकारी देते हुए कहा:
“भारतीय सेना के ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ के अंतर्गत फायर एंड फ्यूरी कोर ने लद्दाख में एकीकृत फायरिंग अभ्यास किया, जिसका उद्देश्य नई पीढ़ी के उपकरणों और युद्ध के संतुलन स्थापित करने वाले संसाधनों को शामिल करते हुए Tactics, Techniques and Procedures (TTP) का मूल्यांकन करना है।”
परीक्षणों और अभ्यासों की इस श्रृंखला के बीच दक्षिण-पश्चिमी कमान के सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल मंजींदर सिंह ने भी सैन्य नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जयपुर मिलिट्री स्टेशन पर आयोजित ‘नेक्स्ट जनरेशन कॉम्बैट – शेपिंग टुमॉरो’ज़ मिलिट्री टुडे’ संगोष्ठी में कहा:
“हमें तेजी से बदलते युद्ध के स्वरूप के अनुसार खुद को ढालना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे संसाधन प्रबंधन, निर्णय क्षमता और संचालन की गति और सटीकता को बेहतर बना सकता है।”
लद्दाख में सफल परीक्षण भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह ना सिर्फ ऊँचाई वाले दुर्गम क्षेत्रों में सेना की हवाई सुरक्षा को और मज़बूत करेगा, बल्कि भविष्य के हाइब्रिड युद्ध परिदृश्यों में भी भारत को निर्णायक बढ़त देगा।