म्यांमार: बौद्ध मठ पर हवाई हमला, 23 की मौत

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद नागरिकों पर बढ़ा खतरा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार।

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  • म्यांमार के सगाइंग में बौद्ध मठ पर हवाई हमला, 23 की मौत।
  • हमले में चार बच्चे भी मारे गए, करीब 30 लोग घायल।
  • म्यांमार सेना पर नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप, बढ़ रहा गृहयुद्ध।

समग्र समाचार सेवा
बांग्कॉक, 13 जुलाई: म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में सेना का क्रूर चेहरा एक बार फिर सामने आया है। 13 जुलाई 2025 को बांग्कॉक से मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार तड़के सगाइंग टाउनशिप के लिन ता लु गांव स्थित एक बौद्ध मठ पर वायुसेना द्वारा किए गए हवाई हमले में कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में चार मासूम बच्चे भी शामिल हैं, जबकि करीब 30 अन्य लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 10 की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। यह घटना म्यांमार में जारी गृहयुद्ध और सेना द्वारा नागरिकों पर किए जा रहे हमलों की भयावहता को दर्शाती है।

तड़के हुआ हमला, भीषण तबाही

यह दिल दहला देने वाला हमला शुक्रवार तड़के करीब 1 बजे हुआ। उस वक्त मठ में आसपास के गांवों से आए 150 से अधिक लोग शरण लिए हुए थे, जो संघर्ष से बचने के लिए वहां पनाह लिए हुए थे। स्थानीय प्रतिरोध समूह के एक सदस्य ने अपनी पहचान गुप्त रखते हुए बताया कि एक जेट फाइटर ने मठ की इमारत पर बम गिराया जिससे भारी तबाही मची। यह हमला इतना तीव्र था कि मठ की इमारत खंडहर में बदल गई और अंदर मौजूद लोगों को बचने का कोई मौका नहीं मिला।

स्वतंत्र समाचार संस्था ‘डेमोक्रेटिक वॉइस ऑफ बर्मा’ ने इस हमले में मरने वालों की संख्या 30 तक होने की आशंका जताई है, हालांकि इस आंकड़े की अभी तक स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है। इस घटना पर म्यांमार सेना ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, जो उनकी चुप्पी और जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति को दर्शाता है

सेना के दावे और जमीनी हकीकत

यह बौद्ध मठ मांडले से लगभग 35 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है, जो सगाइंग क्षेत्र के अशांत हिस्सों में से एक है। म्यांमार सेना का पहले से यह दावा रहा है कि वे केवल ‘वैध युद्ध लक्ष्यों’ को ही निशाना बनाते हैं और प्रतिरोध बलों को ‘आतंकी’ करार देते हैं। हालांकि, मठ जैसे नागरिक ठिकानों पर हुए इस तरह के हमले सेना के इन दावों पर गंभीर सवाल उठाते हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उनकी आलोचना का कारण बनते हैं।

फरवरी 2021 में आंग सान सू की की लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सेना ने जबरन सत्ता हथिया ली थी, जिसके बाद से ही देश में गृहयुद्ध जैसे हालात बन गए हैं। शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को सेना ने बर्बरतापूर्वक कुचला, जिसके बाद हजारों लोगों ने हथियार उठा लिए। अब म्यांमार का एक बड़ा हिस्सा सैन्य शासन और प्रतिरोध बलों के बीच चल रहे खूनी संघर्ष की चपेट में है, जिससे लाखों नागरिक विस्थापित हुए हैं और मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा है।

सगाइंग में प्रतिरोध बल और चुनावी रणनीति

सगाइंग क्षेत्र, जहां यह हमला हुआ है, ‘पीपल्स डिफेंस फोर्सेज’ (पीडीएफ) नामक सशस्त्र प्रतिरोध बल का गढ़ है। यह बल सेना के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ रहा है। सेना ने हाल के दिनों में इस क्षेत्र में अपने सैन्य अभियान तेज किए हैं, जिसमें टैंकों और लड़ाकू विमानों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह रणनीति प्रतिरोध बलों को कमजोर करने और उनके कब्जे वाले इलाकों को दोबारा अपने नियंत्रण में लेने की है।

नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी), जो लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के निर्वासन में है, के प्रवक्ता ने बताया कि सेना आगामी चुनावों से पहले प्रतिरोध बलों के कब्जे वाले इलाकों को दोबारा कब्जे में लेने की कोशिश कर रही है। यह चुनाव, जिसे सेना अपनी सत्ता कब्जे को वैध ठहराने के एक प्रयास के रूप में देख रही है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना का विषय है क्योंकि इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं माना जा रहा है। मठ पर हुआ यह हमला दिखाता है कि सेना अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए किस हद तक जा सकती है, भले ही इसके लिए निर्दोष नागरिकों की जान ही क्यों न चली जाए

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