धर्मांतरण माफिया का खुलासा: 106 करोड़, 40 बैंक खाते और झूठ का जाल
धर्मांतरण के काले धंधे का पर्दाफाश, कई राज्यों तक फैले तार
- धर्मांतरण रैकेट का सरगना जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा गिरफ्तार, 106 करोड़ का खुलासा।
- 40 से अधिक बैंक खातों में संदिग्ध लेन-देन और करोड़ों की संपत्ति मिली।
- यूपी एटीएस और ईडी की जांच जारी, विदेशी फंडिंग के तार भी सामने आए।
समग्र समाचार सेवा
दिल्ली, 13 जुलाई: उत्तर प्रदेश में एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें मुख्य सरगना जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच एजेंसियों को छांगुर बाबा के 40 से अधिक बैंक खातों में 106 करोड़ रुपये से अधिक के संदिग्ध लेन-देन का पता चला है, जिससे इस विशाल धर्मांतरण माफिया के पैमाने का अनुमान लगाया जा सकता है। यह मामला न केवल अवैध धर्मांतरण से जुड़ा है, बल्कि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
यह खुलासा तब हुआ जब उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने बलरामपुर जिले में एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ किया और छांगुर बाबा को उसके सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन के साथ लखनऊ के एक होटल से गिरफ्तार किया। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा, जो कभी ताबीज और अंगूठियां बेचता था, अब करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन चुका है, जिसमें उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के लोनावाला में उसकी संपत्तियां भी शामिल हैं।
करोड़ों की फंडिंग और संपत्तियों का मायाजाल
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है और छांगुर बाबा की अवैध कमाई के स्रोतों का पता लगाने में जुट गया है। ईडी की जांच में यह पुख्ता हो गया है कि छांगुर बाबा के 40 विभिन्न खातों में 106 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जमा की गई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सारा पैसा मध्य-पूर्व के इस्लामिक देशों से आया है। सुरक्षा एजेंसियां अब इस बात की भी जांच कर रही हैं कि क्या इस धन का उपयोग किसी राष्ट्र-विरोधी गतिविधि में तो नहीं किया गया।
छांगुर बाबा के इस साम्राज्य का केंद्र बलरामपुर जिले के उतरौला क्षेत्र में स्थित रेहरा माफी गांव में है, जो नेपाल सीमा से सटा हुआ है। उसने मधपुर में एक दरगाह के पास एक अवैध इमारत भी बनवाई थी, जिसे हाल ही में अधिकारियों ने ध्वस्त कर दिया है। इस इमारत में दो हिस्से थे, एक में छांगुर बाबा और उसके सहयोगी रहते थे, जबकि दूसरे हिस्से को लेकर विभिन्न योजनाएं थीं, जिनमें एक अस्पताल बनाने का भी दावा किया गया था, लेकिन कोई भी योजना पर काम नहीं किया गया था।
धोखे और लालच का भयावह तरीका
पुलिस के बयान के अनुसार, धर्मांतरण रैकेट के आरोपी गरीब, असहाय मजदूरों, कमजोर वर्गों और विधवा महिलाओं को प्रलोभन, वित्तीय सहायता, शादी के वादे या डरा-धमकाकर अवैध तरीके से धर्मांतरण करवाते थे। इसमें धर्म परिवर्तन के लिए स्थापित प्रक्रियाओं का खुले तौर पर उल्लंघन किया गया। सूत्रों के अनुसार, यूपी एसटीएफ को एक “रेट लिस्ट” भी मिली है, जिसमें जाति के आधार पर लड़कियों के धर्मांतरण के लिए अलग-अलग “मूल्य” तय किए गए थे। यह दिखाता है कि यह धर्मांतरण केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक संगठित आपराधिक धंधा बन चुका था।
छांगुर बाबा की मुख्य सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन के बैंक खातों में भी करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेन-देन का पता चला है। नवीन, जो नीतू का सहयोगी है और हाल ही में गिरफ्तार किया गया था, के नाम पर भी महाराष्ट्र के लोनावाला में 16.49 करोड़ रुपये की जमीन खरीदी गई थी। सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर अब वे सरकारी एजेंट, अधिकारी और कर्मचारी भी हैं, जिन पर छांगुर के अवैध कामों में मदद करने का आरोप है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को “समाज विरोधी” और “राष्ट्र विरोधी” करार दिया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर उठे सवाल
इस मामले में आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) की जांच इस बात पर भी केंद्रित है कि क्या इस धर्मांतरण गिरोह का कोई आतंकी लिंक भी है। विदेशी फंडिंग के बड़े पैमाने पर खुलासे और धर्मांतरण के लिए अपनाए गए तौर-तरीकों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चिंताएं पैदा की हैं। यह धर्मांतरण रैकेट केवल व्यक्तियों का धर्म बदलने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक नेटवर्क था जिसका उद्देश्य शायद देश को अस्थिर करना था। यह जांच आने वाले समय में और भी कई बड़े खुलासे कर सकती है।