बिहार में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण: नीतीश सरकार का ऐतिहासिक फैसला
नीतीश कुमार का चुनावी दांव या महिला सशक्तिकरण की नई राह?
- बिहार सरकार ने राज्य की मूल निवासी महिलाओं को सभी सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण देने का ऐलान किया।
- यह आरक्षण सभी स्तरों और संवर्गों पर सीधी नियुक्तियों में लागू होगा।
- चुनाव से पहले नीतीश सरकार का यह फैसला महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 8 जुलाई: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। मंगलवार, 8 जुलाई 2025 को बिहार सरकार ने राज्य की मूल निवासी महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण की घोषणा की है। यह आरक्षण राज्य की सभी सरकारी सेवाओं, संवर्गों और सभी स्तरों के पदों पर सीधी नियुक्ति में लागू होगा, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान: महिलाओं को मिलेगा 35% आरक्षण
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला आरक्षण को लेकर यह बड़ा ऐलान किया है। इस घोषणा के तहत, बिहार की स्थायी निवासी महिलाएं अब राज्य सरकार की किसी भी सरकारी सेवा या पद पर सीधी नियुक्ति में 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ उठा सकेंगी। यह आरक्षण मौजूदा आरक्षण नीतियों के अतिरिक्त होगा और इसका उद्देश्य सरकारी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है। यह फैसला महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सरकारी सेवा में समान अवसर प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
आरक्षण का दायरा: सभी सरकारी सेवाओं पर लागू
यह नई आरक्षण नीति केवल कुछ विशेष विभागों या पदों तक सीमित नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि यह आरक्षण बिहार राज्य की सभी सरकारी सेवाओं, सभी संवर्गों और सभी स्तरों के पदों पर सीधी नियुक्ति में लागू होगा। इसका मतलब है कि चाहे वह बिहार प्रशासनिक सेवा हो, पुलिस सेवा हो, शिक्षा विभाग हो या कोई अन्य सरकारी विभाग, हर जगह महिलाओं के लिए 35% सीटें आरक्षित होंगी। यह नीति राज्य में महिला कर्मचारियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकती है।
चुनावी वर्ष में सरकार का महत्वपूर्ण कदम
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। माना जा रहा है कि यह फैसला नीतीश सरकार के लिए एक बड़ा चुनावी दांव साबित हो सकता है, जिससे महिला मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग सरकार के पक्ष में लामबंद हो सकता है। नीतीश कुमार ने हमेशा से महिला सशक्तिकरण को अपनी नीतियों का एक प्रमुख स्तंभ बनाया है। इससे पहले भी उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया था, जिसने राज्य में महिला नेतृत्व को बढ़ावा दिया। यह 35% आरक्षण का फैसला उसी कड़ी का एक विस्तार माना जा रहा है।
महिला सशक्तिकरण की ओर एक बड़ा कदम
इस फैसले का उद्देश्य न केवल सरकारी नौकरियों में महिलाओं की संख्या बढ़ाना है, बल्कि उन्हें समाज में अधिक सम्मान और आत्मनिर्भरता प्रदान करना भी है। बिहार जैसे राज्य में जहां लैंगिक असमानता एक बड़ी चुनौती रही है, ऐसे कदम महिलाओं को मुख्यधारा में लाने में मदद करते हैं। सरकारी नौकरी मिलने से महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, जिससे वे अपने परिवार और समाज के लिए बेहतर योगदान दे पाती हैं। यह फैसला अन्य राज्यों को भी महिलाओं के लिए इसी तरह के आरक्षण पर विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और भविष्य की राह
इस घोषणा पर निश्चित रूप से राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलेंगी। जहां एक ओर सत्तारूढ़ दल इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करेगा, वहीं विपक्षी दल इसे केवल चुनावी स्टंट करार दे सकते हैं। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह निर्णय बिहार की लाखों महिलाओं के लिए आशा की एक नई किरण लेकर आया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नीति किस प्रकार लागू होती है और इसका जमीनी स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है।