बिहार चुनाव 2025: क्या लालू यादव सुलझा पाएंगे ओवैसी की पहेली?

AIMIM ने महागठबंधन में शामिल होने की जताई इच्छा, RJD के सामने नई चुनौती

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समग्र समाचार सेवा
पटना, 6 जुलाई: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने राजद (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है। AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को औपचारिक रूप से एक पत्र लिखकर गठबंधन में शामिल करने का आग्रह किया है। इस पेशकश ने महागठबंधन के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है, खासकर तब जब मुस्लिम वोटों को एकजुट रखने की कवायद जारी है। क्या लालू यादव सुलझा पाएंगे ओवैसी की पहेली?

महागठबंधन की दुविधा: ‘सेक्युलर वोटों’ का बंटवारा या AIMIM का साथ?

AIMIM का तर्क है कि उनके महागठबंधन में शामिल होने से ‘सेक्युलर वोटों’ का बंटवारा रुकेगा और इससे भाजपा के नेतृत्व वाले NDA को सत्ता में आने से रोका जा सकेगा। 2020 के विधानसभा चुनावों में, AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटें जीती थीं, जिससे कई सीटों पर महागठबंधन के वोटों में सेंध लगी थी और उन्हें बहुमत से दूर रहना पड़ा था।

हालांकि, राजद के भीतर AIMIM को लेकर संशय बना हुआ है। राजद के कुछ नेता AIMIM को ‘भाजपा की बी-टीम’ बताते रहे हैं, यह आरोप लगाते हुए कि उनकी उपस्थिति से भाजपा को फायदा होता है। राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने तो यह भी सुझाव दिया है कि अगर AIMIM वास्तव में भाजपा को हराना चाहती है, तो उसे बिहार चुनाव नहीं लड़ना चाहिए और ‘सैद्धांतिक समर्थन’ देना चाहिए।

लालू के ‘MY’ समीकरण और सीमांचल का महत्व

लालू यादव के लिए यह एक मुश्किल स्थिति है, क्योंकि यादव और मुस्लिम पारंपरिक रूप से राजद के मुख्य वोट बैंक रहे हैं। AIMIM के साथ गठबंधन का मतलब मुस्लिम वोट बैंक में हिस्सेदारी देना हो सकता है, जो राजद के लिए राजनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है। दूसरी ओर, अगर गठबंधन नहीं होता है, तो AIMIM सीमांचल जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में महागठबंधन के वोटों को फिर से बांट सकती है, जैसा कि 2020 में हुआ था।

सीमांचल, जिसमें किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जैसे जिले शामिल हैं, बिहार की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। यहां की 24 विधानसभा सीटों पर AIMIM की मजबूत पकड़ है। 2020 में AIMIM ने इन्हीं जिलों से पांच सीटें जीती थीं, जिनमें अमौर, बहादुरगंज, बयासी, जोकीहाट और कोचाधामन शामिल हैं। हालांकि, बाद में अख्तरुल ईमान को छोड़कर चार विधायक राजद में शामिल हो गए थे।

AIMIM की इस पेशकश पर महागठबंधन का अंतिम फैसला अभी आना बाकी है। राजद के नेताओं ने कहा है कि यह फैसला लालू यादव, तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य नेताओं द्वारा सामूहिक रूप से लिया जाएगा। AIMIM ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि गठबंधन नहीं होता है, तो वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। बिहार में सियासी बिसात बिछ चुकी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू यादव इस ‘ओवैसी पहेली’ को कैसे सुलझाते हैं।

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