मेडिकल घोटाले में : आंध्र, तेलंगाना से जुड़े एजेंटों ने किया करोड़ों का खेल
दक्षिण भारत की भूमिका उजागर - घोटाले में सत्ता, पैसा और पाखंड का गठजोड़"
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली/हैदराबाद/इंदौर 5 जुलाई -देश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। CBI की जांच में सामने आया है कि यह घोटाला न सिर्फ करोड़ों की रिश्वत, फर्जी फैकल्टी और सरकारी मिलीभगत का मामला है, बल्कि इसमें एक स्वयंभू बाबा, दिल्ली के आला अफसर, दक्षिण भारत के एजेंट और यहां तक कि एक मंदिर निर्माण भी शामिल है।
पावरफुल बाबा’ और नेताओं से संबंध
इस घोटाले में सबसे विवादास्पद नाम है स्वयंभू संत रावतपुरा सरकार उर्फ रविशंकर महाराज का, जिन्हें “बाबा क्लोज टू पावर” कहा जाता है। FIR में उनका नाम आने से राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है। IAS, IPS अफसरों और मंत्रियों के साथ उनकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
आरोप हैं कि उनके ट्रस्ट को सरकारी योजनाओं, रोड एक्सेस, और बिजली सब्सिडी में अनुचित लाभ मिला। हालांकि, ट्रस्ट इन सभी आरोपों से इनकार करता आया है। इससे पहले भी उनके ट्रस्ट पर ज़मीन पर कब्ज़ा, बिना अनुमति कॉलेज चलाना, छात्रों पर धार्मिक दबाव और महिला भक्तों के साथ मानसिक शोषण जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं।
दक्षिण भारत का भ्रष्ट नेटवर्क
CBI की जांच में यह सामने आया कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के एजेंटों – बी. हरि प्रसाद (कडिरी), अंकम रामबाबू (हैदराबाद), और कृष्णा किशोर (विशाखापत्तनम) – ने डमी फैकल्टी, नकली मरीज़ों और फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को गुमराह किया।
गायत्री मेडिकल कॉलेज ने कथित तौर पर ₹50 लाख की रिश्वत दी जबकि वारंगल स्थित Father Colombo Institute of Medical Sciences ने ₹4 करोड़ से अधिक की रिश्वत दी, जो बैंकिंग चैनलों से भेजी गई ताकि वैध लगे।
इंदौर से दिल्ली तक फैला रैकेट
जांच के दौरान CBI को इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज से चलता एक समानांतर ऑपरेशन भी मिला। यहां फर्जी बायोमेट्रिक, घोस्ट फैकल्टी और नकली अनुभव प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल कर मान्यता हासिल की गई। आरोप है कि सुरेश सिंह भदौरिया और रावतपुरा सरकार ने ₹3-5 करोड़ तक की रिश्वत लेकर कई निजी संस्थानों को मान्यता दिलवाई।
इस पूरे भ्रष्ट नेटवर्क में दिल्ली के अफसर भी शामिल थे, जो फाइलों की तस्वीरें खींचकर वॉट्सऐप के ज़रिए एजेंटों तक पहुंचा रहे थे। इनमें विरेंद्र कुमार (गुरुग्राम), मनीषा जोशी (द्वारका), मयूर रावल (गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर) जैसे नाम सामने आए हैं।
रिश्वत से मंदिर निर्माण!
इस गोरखधंधे का सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि जीतू लाल मीणा, जो MARB (मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड) के सदस्य रह चुके हैं, उन्होंने इस घोटाले से मिले पैसे से राजस्थान में ₹75 लाख की लागत से एक हनुमान मंदिर बनवाया। वह इस रैकेट का मुख्य बिचौलिया था और उसकी पहुंच दिल्ली तक थी।
निष्कर्ष
यह घोटाला सिर्फ मेडिकल शिक्षा में भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि भारत की संस्थागत सड़ांध का प्रतीक बन चुका है। एक बाबा, दक्षिण भारत के एजेंट, सरकारी अधिकारी और कॉलेज मिलकर कैसे छात्रों के भविष्य और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे थे, यह इस खुलासे से साफ हो गया है।