नोएडा में ‘डिजिटल अरेस्ट’ का खौफनाक मामला: बुजुर्ग से 59 लाख की ठगी
ऑनलाइन ठगों ने 13 दिनों तक किया परेशान, ऐसे फंसाया जाल में
समग्र समाचार सेवा
नोएडा, 4 जुलाई: गौतम बुद्ध नगर जिले में साइबर ठगी का एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ठगों ने एक बुजुर्ग व्यक्ति को ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने का नाटक किया और उसे 13 दिनों तक मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हुए 59 लाख रुपये ठग लिए। यह घटना साइबर अपराधियों के बढ़ते दुस्साहस और उनकी नई तरकीबों को उजागर करती है।
कैसे फंसाया जाल में?
पीड़ित बुजुर्ग ने पुलिस को बताया कि उन्हें एक अज्ञात नंबर से कॉल आया था। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में किया गया है। ठगों ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वे एक गंभीर अपराध में शामिल हैं और उन्हें तुरंत दिल्ली के एक वर्चुअल सीबीआई कार्यालय से जुड़ना होगा।
‘डिजिटल अरेस्ट’ और मानसिक प्रताड़ना
इसके बाद, ठगों ने बुजुर्ग को एक वीडियो कॉल पर लिया और उन्हें बताया कि उन्हें ‘डिजिटल रूप से गिरफ्तार’ कर लिया गया है। उन्हें लगातार 13 दिनों तक वीडियो कॉल पर ही रहने के लिए मजबूर किया गया। इस दौरान, उन्हें धमकाया गया कि यदि उन्होंने उनकी बात नहीं मानी, तो उन्हें जेल हो जाएगी। ठगों ने बुजुर्ग को यह भी विश्वास दिलाया कि उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। इस मानसिक दबाव में आकर बुजुर्ग ने अपनी सारी जमा पूंजी, लगभग 59 लाख रुपये, ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दी।
ठगी का पर्दाफाश और पुलिस कार्रवाई
जब बुजुर्ग ने अपने परिवार को इस पूरी आपबीती के बारे में बताया, तब उन्हें एहसास हुआ कि वे साइबर ठगी का शिकार हुए हैं। परिवार ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। साइबर क्राइम सेल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अब उन बैंक खातों का पता लगाने की कोशिश कर रही है जिनमें पैसे ट्रांसफर किए गए हैं और आरोपियों की पहचान करने का प्रयास कर रही है।
साइबर ठगी से बचाव के उपाय
यह घटना इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि साइबर अपराधी लगातार नई और अधिक परिष्कृत तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में लोगों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।
अज्ञात कॉल से सावधान रहें: पुलिस या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बनकर कोई भी आपको फोन पर धमकाकर पैसे नहीं मांगता।
व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: बैंक खाता, आधार नंबर, ओटीपी या कोई भी गोपनीय जानकारी फोन पर किसी के साथ साझा न करें।
डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं: ‘डिजिटल अरेस्ट’ या वर्चुअल सीबीआई ऑफिस जैसी कोई अवधारणा नहीं होती है। यह सिर्फ ठगों का डराने का तरीका है।
संदिग्ध कॉल या मैसेज की तुरंत रिपोर्ट करें: यदि आपको कोई ऐसा कॉल या मैसेज आता है, तो तुरंत अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर उसकी शिकायत करें।
परिवार के साथ जानकारी साझा करें: बुजुर्गों और कम जानकार लोगों को ऐसे मामलों में अपने परिवार या किसी विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे ऐसे साइबर हमलों से खुद को बचाने के लिए सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना दें।