श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह केस: हिंदू पक्ष को झटका, मस्जिद को विवादित घोषित करने की मांग खारिज

कोर्ट ने मस्जिद को विवादित संरचना घोषित करने से किया इनकार

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समग्र समाचार सेवा
मथुरा, 4 जुलाई: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में हिंदू पक्ष को एक बड़ा झटका लगा है। जिला जज की अदालत ने शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने और उस पर ताला लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव द्वारा दायर की गई थी।

याचिका में क्या थी मांग?

याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील में कहा था कि शाही ईदगाह मस्जिद एक “विवादित संरचना” है, क्योंकि इसका निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर को तोड़कर किया गया था। उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि मस्जिद को विवादित घोषित किया जाए, उसे सील किया जाए और वहां मुस्लिम समुदाय के प्रवेश पर रोक लगाई जाए। उनका दावा था कि यह भूमि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की है और शाही ईदगाह मस्जिद एक अतिक्रमण है।

कोर्ट का फैसला और आगे की राह

जिला जज की अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हिंदू पक्ष की इस याचिका को खारिज कर दिया। अदालत के इस फैसले को शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है। हालांकि, यह मामला अभी यहीं खत्म नहीं होगा। हिंदू पक्ष के वकील ने कहा है कि वे इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का विवाद लंबे समय से चल रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के शासनकाल में 1669-70 में प्राचीन केशवदेव मंदिर को तोड़कर किया गया था, जो भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष शाही ईदगाह को एक वैध मस्जिद बताता है और उस पर अपने अधिकार का दावा करता है।

अन्य संबंधित मामले

यह मामला मथुरा में चल रहे कई मुकदमों में से एक है, जो श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह परिसर से संबंधित हैं। विभिन्न हिंदू संगठन और व्यक्ति शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर उस स्थान को कृष्ण जन्मभूमि को वापस दिलाने की मांग कर रहे हैं। इन मुकदमों में परिसर के सर्वेक्षण, वीडियोग्राफी और पूजा के अधिकार की मांगें भी शामिल हैं।

अदालत का यह नवीनतम फैसला निश्चित रूप से इस जटिल कानूनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, लेकिन इससे मामले का अंतिम निपटारा होने की उम्मीद कम है। हिंदू पक्ष द्वारा उच्च न्यायालय में अपील दायर करने के साथ, यह कानूनी जंग अभी जारी रहेगी।

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