केरल यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार निलंबन पर बवाल

"वाइस चांसलर को नहीं है सस्पेंड करने का अधिकार," बोलीं सिसा थोमस

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समग्र समाचार सेवा
तिरुवनंतपुरम,4 जुलाई -केरल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को निलंबित किए जाने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। उच्च शिक्षा सचिव सिसा थोमस ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि कुलपति (Vice Chancellor) के पास रजिस्ट्रार को निलंबित करने का कानूनी अधिकार नहीं है, और यह फैसला बाहरी दबाव में लिया गया प्रतीत होता है।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने अचानक रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया, जिस पर अब कानूनी और प्रशासनिक सवाल उठ रहे हैं। सिसा थोमस ने स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रार की नियुक्ति और सेवा शर्तों से जुड़े निर्णय केवल विश्वविद्यालय सिंडिकेट या उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लिए जा सकते हैं, न कि वाइस चांसलर अकेले।

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब यह आरोप लग रहे हैं कि रजिस्ट्रार के निलंबन के पीछे राजनीतिक हस्तक्षेप और दबाव की भूमिका रही है। सिसा थोमस ने कहा,

“यह निर्णय उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना लिया गया है। रजिस्ट्रार के खिलाफ कोई स्पष्ट अनुशासनात्मक जाँच नहीं हुई थी, न ही उन्हें स्पष्टीकरण देने का अवसर दिया गया।”

वहीं, वाइस चांसलर कार्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रजिस्ट्रार पर प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप थे और यूनिवर्सिटी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्यों में उनकी भूमिका की जांच चल रही थी। लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या VC ने यह कदम प्रक्रिया के विरुद्ध उठाया।

राजनीतिक हलकों में भी यह मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्ष ने सरकार पर विश्वविद्यालयों के स्वायत्त संचालन में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। लेफ्ट संगठनों ने सिसा थोमस के बयान का समर्थन करते हुए रजिस्ट्रार को बहाल करने की मांग की है।

इस विवाद ने राज्य में उच्च शिक्षा प्रशासन की पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। शिक्षा मंत्री आर. बिंदु ने अभी तक इस पर कोई सीधा बयान नहीं दिया है, लेकिन विभागीय समीक्षा की बात कही है।

अब यह देखना अहम होगा कि राज्य सरकार इस संवेदनशील मामले में क्या रुख अपनाती है, और क्या रजिस्ट्रार को न्याय मिलेगा या नहीं।

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