आरएसएस की प्रांत प्रचारक बैठक 4 से 6 जुलाई तक, शताब्दी वर्ष पर रहेगा विशेष फोकस

शाखा विस्तार, सामाजिक समरसता, शताब्दी योजनाएं और देशभर के स्वयंसेवकों की भागीदारी पर केंद्रित होगी बैठक बैठक में शामिल होंगे 233 कार्यकर्ता और 32 संगठनों के प्रतिनिधि

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3 जुलाई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रांत प्रचारक बैठक 4 से 6 जुलाई 2024 तक आयोजित की जाएगी, जिसमें देशभर से 233 कार्यकर्ता और 32 सहयोगी संगठनों के संगठन मंत्री भाग लेंगे। यह बैठक संघ के भविष्य के कार्यों और रणनीतियों पर केंद्रित होगी।

RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर के अनुसार, इस बैठक में सभी 46 प्रांतों के कार्यों की समीक्षा की जाएगी। सुझाव, बदलाव और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी।

शताब्दी वर्ष की व्यापक तैयारी

संघ के शताब्दी वर्ष को लेकर खास चर्चा की जाएगी। आगामी 2 अक्टूबर विजयादशमी से नागपुर से इसका शुभारंभ होगा। देशभर में हर शाखा पर विजयादशमी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

घर-घर संपर्क अभियान और साहित्य वितरण

शताब्दी वर्ष के तहत नवंबर में 21 दिवसीय गृह संपर्क अभियान भी चलेगा, जिसमें स्वयंसेवक लोगों से मिलकर संघ की विचारधारा और सामाजिक उद्देश्यों से उन्हें परिचित कराएंगे। इस दौरान साहित्य भी वितरित किया जाएगा।

सामाजिक समरसता की दिशा में पहल

बैठक के दौरान जिला स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठकों और प्रमुख नागरिक गोष्ठियों की योजना पर भी चर्चा की जाएगी। इसका उद्देश्य सभी समुदायों को जोड़ना और सामाजिक कुरीतियों को मिटाना है।

युवाओं और शहरों में संवाद कार्यक्रम

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु में सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ विशेष संवाद आयोजित होंगे। इसमें समाज के प्रमुख और प्रभावशाली व्यक्तियों को आमंत्रित किया जाएगा।

स्वयंसेवकों की बढ़ती भागीदारी

मार्च 2025 से अब तक 28,000 से अधिक लोगों ने संघ से जुड़ने के लिए नाम पंजीकृत कराए हैं, जो संगठन की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।

जातीय जनगणना और अन्य मुद्दों पर भी राय

जातीय जनगणना पर पूछे गए सवाल पर आंबेकर ने कहा कि सामाजिक समरसता प्राथमिक उद्देश्य है और योजनाओं के लिए जरूरी डेटा सरकार को मिलना चाहिए। वहीं संघ पर प्रतिबंध की मांग को राजनीतिक और असंगत बताया।

यह बैठक संघ की संगठनात्मक समीक्षा और सामाजिक समरसता की दिशा में भविष्य की योजनाओं को तय करने का महत्वपूर्ण मंच साबित होगी। शताब्दी वर्ष की तैयारियों को लेकर पूरे देश में एक नया ऊर्जा संचार होगा।

 

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