समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली/अगरतला, 2 जुलाई —बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने अपदस्थ प्रधानमंत्री और अवामी लीग की पूर्व नेता शेख हसीना को कोर्ट की अवमानना के मामले में 6 महीने की जेल की सजा सुनाई है। यह फैसला बुधवार को सुनाया गया, जैसा कि द ढाका ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में बताया है।
तीन सदस्यीय न्यायिक पीठ, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस मोहम्मद गोलाम मोर्तुज़ा मोजुमदार कर रहे थे, ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि शेख हसीना ने न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाई और न्यायिक प्रक्रिया को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया, जिससे अदालत की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए।
यह पहली बार है जब शेख हसीना को देश छोड़ने के बाद किसी मामले में सजा सुनाई गई है। वे 11 महीने पहले सत्ता से बाहर होने के बाद देश से फरार हो गई थीं। उनके खिलाफ कई जांच और मुकदमे चल रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें किसी में दोषी करार नहीं दिया गया था।
उसी मामले में सह-अभियुक्त शाकिल अकंद बुलबुल, जो कि गाइबांधा जिले के गोबिंदगंज से हैं, को दो महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि बुलबुल की भूमिका सीमित थी, लेकिन उन्होंने भी न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास किया।
बांग्लादेश की राजनीतिक गलियों में इस फैसले को एक नैतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर उन लोगों द्वारा जो शेख हसीना की सरकार पर मानवाधिकार उल्लंघन और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे हैं।
हालांकि, अवामी लीग के बचे हुए नेताओं और समर्थकों ने इस फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। उनका कहना है कि शेख हसीना के खिलाफ चल रहे सभी मुकदमे सत्ता परिवर्तन के बाद राजनीतिक प्रेरणा से प्रेरित हैं।
इस फैसले के बाद, यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि भारत या किसी अन्य पड़ोसी देश में रह रही शेख हसीना के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तेज़ हो सकती है। हालांकि अभी इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।