जीवन का उद्देश्य

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जीवन का उद्देश्य
जो चाहा, वह हुआ नहीं।
जो मिला उस से गिला नहीं।
जीवन में बस ऐसे ही चीजें होती रही।

जो होना होता है वहीं होता है
मैं यह नहीं मानता था,
क्या हुआ और क्यों
यह भी नहीं जानता
जीवन में बस ऐसे ही चीजें होती गई।

आदमी सोचता कुछ है
करता कुछ और है और
होता कुछ और ही है।
और वह क्यों होता है यह भी कौन जाने।

हर सुबह एक नया सूरज उगता है
एक नया दिन निखरता है।
और मैं एक एक दिन प्रतिदिन
जिए जा रहा हूँ, क्यों ? यह भी नहीं जानता।

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