समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली 1 जुलाई :भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने संगठनात्मक स्तर पर बड़ा बदलाव करते हुए सोमवार को 16 राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की। यह कवायद पार्टी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की पूर्व तैयारी मानी जा रही है। बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम 19 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति जरूरी होती है। पार्टी इस आंकड़े को मंगलवार तक पार कर लेगी, जिससे जुलाई में जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी का रास्ता साफ हो जाएगा।
पुडुचेरी और मिजोरम में क्रमशः वी.पी. रामलिंगम और के. बेचुआ को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सिर्फ एक-एक नामांकन हुआ है, इसलिए इनका औपचारिक ऐलान मंगलवार को होगा।
महाराष्ट्र में चार बार के विधायक और वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा रहा है। वे चंद्रशेखर बावनकुले की जगह लेंगे, जो वर्तमान में राज्य सरकार में मंत्री हैं। उत्तराखंड में महेन्द्र भट्ट को एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। भट्ट राज्यसभा सांसद भी हैं और एक सशक्त ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं।
तेलंगाना में पार्टी ने रामचंदर राव को अध्यक्ष बनाया है, जिनकी संगठन में मजबूत पकड़ है लेकिन सार्वजनिक प्रोफ़ाइल अपेक्षाकृत कम है। यह फैसला संतुलन साधने और पुराने कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन देने के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, इस नियुक्ति से पार्टी के कट्टर हिंदुत्व नेता टी. राजा सिंह नाराज हो गए और उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
आंध्र प्रदेश में दलित वर्ग से आने वाले पी.वी.एन. माधव को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वे संगठनात्मक अनुभव में धनी माने जाते हैं। इस नियुक्ति को दग्गुबती पुरंदेश्वरी की जगह संगठन निर्माण की दिशा में लिया गया कदम माना जा रहा है। पुरंदेश्वरी पूर्व प्रधानमंत्री एनटी रामाराव की बेटी और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की भाभी हैं। वे कांग्रेस में रह चुकी हैं और UPA सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं।
बीजेपी ने इस बार सामाजिक संतुलन और संगठन निर्माण को प्राथमिकता देते हुए प्रदेश अध्यक्षों का चयन किया है। उत्तराखंड में जहाँ ठाकुर नेता पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं, वहाँ पार्टी ने ब्राह्मण चेहरे महेन्द्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। महाराष्ट्र में चव्हाण मराठा समुदाय से आते हैं, जो राज्य की प्रमुख जातियों में शामिल है।
इन नियुक्तियों से साफ है कि बीजेपी एक तरफ संगठन को मजबूती देने पर ध्यान दे रही है, तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय नेतृत्व में बदलाव के लिए जमीन तैयार कर रही है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जेपी नड्डा की जगह कौन लेता है और कब इस बदलाव की औपचारिक घोषणा होती है।