बिहार में NDA को रोकना है तो साथ आओ: ओवैसी ने महागठबंधन को दिया खुला ऑफर
असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा दांव, क्या बिहार में बदलेगी सियासी समीकरण?
समग्र समाचार सेवा
पटना, 30 जून: बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने महागठबंधन को एक खुला ऑफर दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर वे बिहार में NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) को रोकना चाहते हैं, तो उन्हें एकजुट होना पड़ेगा। ओवैसी के इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है और आने वाले चुनावों के लिए नए समीकरण बनने के संकेत दिए हैं।
ओवैसी का ‘एकजुट हो जाओ’ का नारा
ओवैसी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ तौर पर कहा कि अगर महागठबंधन सच में बिहार से NDA को हटाना चाहता है, तो उन्हें एकजुट होने की ज़रूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर महागठबंधन ने उनकी पार्टी को साथ नहीं लिया, तो वे अकेले चुनाव लड़ेंगे, जिससे वोटों का बँटवारा होगा और इसका सीधा फायदा NDA को मिलेगा। उनका यह बयान एक तरह से महागठबंधन पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
क्या है ओवैसी की रणनीति?
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। सीमांचल में मुस्लिम आबादी अधिक है, और ओवैसी की पार्टी यहाँ से कुछ सीटें जीतने में कामयाब रही है। ओवैसी का मानना है कि उनकी पार्टी के वोट बैंक को अगर महागठबंधन के साथ मिला दिया जाए, तो NDA को कड़ी टक्कर दी जा सकती है। उनका यह ऑफर सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि बिहार की राजनीतिक जमीन पर अपनी पार्टी की अहमियत साबित करने का एक बड़ा प्रयास है।
NDA और महागठबंधन के लिए चुनौती
ओवैसी के इस ऑफर ने दोनों प्रमुख गठबंधनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। जहाँ NDA ओवैसी के इस कदम को वोटों के बँटवारे के रूप में देख सकती है, वहीं महागठबंधन के लिए यह एक मुश्किल फैसला है। अगर वे ओवैसी को अपने साथ लेते हैं, तो उनके पारंपरिक वोट बैंक पर क्या असर होगा? और अगर नहीं लेते हैं, तो क्या ओवैसी के अकेले लड़ने से उन्हें चुनाव में नुकसान होगा?
बिहार की राजनीति में नया अध्याय
यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन ओवैसी के इस ऑफर पर क्या प्रतिक्रिया देता है। क्या वे ओवैसी के साथ मिलकर एक मजबूत गठबंधन बनाएंगे, या फिर इसे दरकिनार कर अपनी पुरानी रणनीति पर टिके रहेंगे? ओवैसी के इस बयान ने बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू कर दिया है, जहाँ अब हर कदम सोच-समझकर उठाना पड़ेगा।