केरल में फंसा ब्रिटेन का अत्याधुनिक F-35B फाइटर जेट, भारत की कूटनीतिक जीत
भारत की शर्तों पर झुका ब्रिटेन, एयर इंडिया के हैंगर में पार्क किया गया स्टील्थ जेट
समग्र समाचार सेवा
तिरुवनंतपुरम, 29 जून: तिरुवनंतपुरम में पिछले कुछ दिनों से खड़ा ब्रिटेन का अत्याधुनिक F-35B स्टील्थ फाइटर जेट आखिरकार एयर इंडिया के तकनीकी हैंगर में सुरक्षित रूप से पार्क कर दिया गया है। यह घटना भारत की बढ़ती रणनीतिक शक्ति और कूटनीतिक पकड़ का एक बड़ा उदाहरण है, जहाँ ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश को भी भारत की शर्तों को मानना पड़ा।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में, रॉयल नेवी के युद्धपोत पर प्रशिक्षण मिशन के दौरान, ब्रिटेन का यह F-35B विमान तकनीकी खराबी के कारण केरल के एक एयरबेस पर उतरने के लिए मजबूर हो गया। यह एक स्टील्थ जेट है, जो दुश्मन की रडार से बच निकलने की क्षमता रखता है। विमान के भारत की धरती पर उतरते ही भारत सरकार ने इसे सुरक्षा और सामरिक कारणों से आगे बढ़ने से रोक दिया।
भारत की सख़्त कूटनीतिक स्थिति
शुरुआत में ब्रिटेन ने इसे एक सामान्य “तकनीकी लैंडिंग” बताकर विमान को जल्द से जल्द वापस भेजने का प्रयास किया। हालाँकि, भारत ने स्पष्ट कर दिया कि यह सिर्फ एक तकनीकी मामला नहीं है। भारतीय एजेंसियों ने इसे एक ‘हाई-वेरीफायबल एसेट’ मानते हुए, इसके बारे में पूरी जानकारी और आवश्यक दस्तावेज़ों की मांग की। भारत ने अपनी संप्रभुता और सामरिक हितों को सर्वोपरि रखा और बिना अपनी शर्तों के विमान को वापस उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी।
एयर इंडिया के हैंगर में सुरक्षित पार्किंग
ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने आखिरकार भारत की सलाह मान ली। भारतीय वायुसेना और नागरिक विमानन विभाग की देखरेख में इस हाई-टेक विमान को अब एयर इंडिया इंजीनियरिंग लिमिटेड (AIESL) के तकनीकी हैंगर में स्थानांतरित किया गया है। यह जगह अपनी उच्च सुरक्षा और तकनीकी सुविधाओं के लिए जानी जाती है, जिससे विमान को हर तरह से सुरक्षित रखा जा सके।
लाखों डॉलर का पार्किंग शुल्क?
अब इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा मुद्दा पार्किंग शुल्क का है। भारत का नागरिक विमानन मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय मिलकर यह तय कर रहे हैं कि इतने संवेदनशील और अत्याधुनिक विमान के लिए कितना शुल्क लिया जाए। यह शुल्क लाखों डॉलर में हो सकता है, जो भारत के लिए एक अच्छा राजस्व स्रोत भी बनेगा।
ISRO और DRDO की कड़ी निगरानी
इस पूरे मामले में भारत की ISRO और DRDO जैसी प्रमुख एजेंसियां भी सक्रिय हैं। इन एजेंसियों की निगरानी टीम इस विमान की हर गतिविधि पर सैटेलाइट और जियोफेंसिंग तकनीक से लगातार नजर बनाए हुए है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस विमान से किसी भी तरह की ‘स्नूपिंग’ या साइबर निगरानी न हो सके।
यह घटनाक्रम साफ़ तौर पर दर्शाता है कि भारत अब दुनिया में एक मजबूत रक्षा-रणनीतिक शक्ति के रूप में उभर रहा है, जो अपनी शर्तों पर काम करता है।