पूनम शर्मा
एक दौर था जब ब्रिटेन की कानून व्यवस्था पूरी दुनिया के लिए आदर्श मानी जाती थी। “ब्रिटिश न्याय प्रणाली” सुनते ही ईमानदारी, निष्पक्षता और सख्त अनुशासन की छवि मन में उभरती थी। लेकिन आज वही ब्रिटेन, खासकर लंदन, अपराधों का अड्डा बनता जा रहा है। आम नागरिक डरे हुए हैं, दुकानदार लुट रहे हैं, पुलिस मूकदर्शक बनी है और सरकार असहाय नज़र आ रही है। सवाल उठना लाज़मी है — क्या ब्रिटेन अब अपराधियों का स्वर्ग बनता जा रहा है?
पुलिस डर रही है, अपराधी दहाड़ रहे हैं!
ब्रिटेन में आज स्थिति यह है कि अपराधी खुलेआम अपराध कर रहे हैं और पुलिस को डर लग रहा है। हद तो तब हो गई जब एक फ्लैट पर कब्ज़ा करने वाले गुंडे ने संपत्ति एजेंट को “चेहरा तोड़ने” की धमकी दी और जब पुलिस को बुलाया गया, तो उन्होंने कार्रवाई करने से मना कर दिया। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह ‘सिविल मामला’ है और वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं!
यह वही ब्रिटेन है, जहां एक समय पर चोर की भनक लगते ही पुलिस कुछ ही मिनटों में पहुँच जाती थी। लेकिन अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि खुद पुलिस को अपराधियों से डर लग रहा है। अगर पुलिस ही डरकर पीछे हट जाए तो फिर आम जनता का क्या होगा?
अपराध का महोत्सव: दुकानें लुट रही हैं, रेप मामलों में कोई सुनवाई नहीं!
ब्रिटेन में अब दुकान चलाना मतलब रोज़ लूट के लिए तैयार रहना। छोटे दुकानदारों से लेकर सुपरमार्केट तक, सबने निजी सिक्योरिटी गार्ड्स रखने शुरू कर दिए हैं, क्योंकि पुलिस शायद अब ‘शॉपलिफ्टिंग’ को अपराध ही नहीं मानती। ब्रिटिश रिटेल कंसोर्टियम की एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल 2023 में खुदरा व्यापार को 953 मिलियन पाउंड से ज्यादा का नुकसान हुआ। चोरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि दिनदहाड़े चोरी करने से भी नहीं डरते।
सिर्फ चोरी ही नहीं, बल्कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। एक सरकारी रिपोर्ट बताती है कि बलात्कार की शिकायतों में से सिर्फ 3% मामलों में ही अभियुक्तों पर चार्जशीट दायर होती है। यानी कि 97% बलात्कारी खुले घूम रहे हैं। यह आंकड़ा ब्रिटेन जैसे देश के लिए शर्मनाक ही नहीं, खतरनाक संकेत भी है।
“नया ब्रिटेन”: जहाँ अपराध करना आसान और सजा पाना दुर्लभ है
सोचिए एक ऐसा देश, जहाँ अगर आप अपराधी हैं तो आपको जेल जाने की चिंता नहीं करनी चाहिए — क्योंकि जेलों में जगह ही नहीं है! यह कोई फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि 2025 के ब्रिटेन की सच्चाई है। यहां अपराधियों को मालूम है कि या तो उन्हें पकड़ा ही नहीं जाएगा, या अगर पकड़ा गया तो अदालतों में सालों तक केस लटका रहेगा और तब तक वे फिर से अपराध कर सकते हैं।
एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि पुलिस बल में भारी स्टाफ की कमी है और जो लोग हैं भी, उन्हें फील्ड में भेजने के बजाय कागज़ी कार्रवाई में लगा दिया जाता है। अपराधियों को यह बात भली-भांति समझ आ चुकी है।
सरकार की आँखों पर पट्टी, नेताओं की जुबां पर ताले
सबसे दुखद बात यह है कि इस बिगड़ती स्थिति पर सरकारें पूरी तरह चुप हैं। ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, जो कभी स्वयं अभियोजक रहे हैं, अब बतौर प्रधानमंत्री इस अराजकता को देखने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहे हैं। आम जनता द्वारा भेजी गई शिकायतें सांसदों के इनबॉक्स में धूल खा रही हैं।
जब एक नागरिक ने सांसद को अपने फ्लैट पर कब्जा और धमकी की शिकायत भेजी, तो जवाब आया – “हम सहानुभूति रखते हैं, लेकिन हमारे हाथ बंधे हैं।” क्या यही है ब्रिटेन की नई शासन प्रणाली? जहां सांसद सिर्फ ‘हमदर्दी’ जता सकते हैं लेकिन सुरक्षा नहीं दे सकते?
क्या ब्रिटेन एक “विकासशील देश” बनता जा रहा है?
कभी जो देश “विकसित” की श्रेणी में गर्व से खड़ा था, वह आज अपराध, अराजकता और व्यवस्था विहीनता के गर्त में जा रहा है। यह वही देश है जिसने पूरी दुनिया को शासन, प्रशासन और कानून सिखाया। लेकिन आज उसकी सड़कों पर अपराधियों का राज है, और न्याय व्यवस्था बेबस नज़र आ रही है।
एक नागरिक ने कहा, “आज का ब्रिटेन ऐसा लगता है जैसे रोमन साम्राज्य की तरह गिर रहा हो। जिस देश ने दुनिया को सभ्यता सिखाई, वह अब खुद असभ्य बनता जा रहा है।”
अगर अब भी सरकार नहीं जागी, तो ब्रिटेन संभल नहीं, बिखर जाएगा
आज की सच्चाई यही है — ब्रिटेन में कानून व्यवस्था नहीं, अपराधों का राज चल रहा है। पुलिस कमजोर है, अदालतें धीमी हैं, और सरकार चुप है। अगर यही हालात रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब ब्रिटेन को “गंभीर खतरे में लोकतंत्र” वाले देशों की सूची में डालना पड़े।
अब वक्त आ गया है कि ब्रिटेन की जनता अपने नेताओं से सवाल करे, उनसे जवाब माँगे और एक बार फिर “ब्रिटिश न्याय प्रणाली” को उसके असली गौरव पर लौटाए। वरना लंदन एक ‘ग्लोबल सिटी’ नहीं, ‘ग्लोबल क्राइम कैपिटल’ बन जाएगा — और यह इतिहास की सबसे दुखद त्रासदी होगी।