समग्र समाचार सेवा
पंजाब, 28 जून-पंजाब की जेल व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। बलात्कार के मामले में सज़ा काट रहे विवादित पादरी बजिंदर सिंह के पास मानसा जेल में छापेमारी के दौरान मोबाइल फोन और नगदी बरामद हुई है। यह घटना जेल में व्याप्त वीआईपी संस्कृति और अंदरखाने चल रहे भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर पेश करती है।
सूत्रों के मुताबिक, एक गुप्त सूचना के आधार पर जेल प्रशासन ने पादरी बजिंदर सिंह की कोठरी में छापेमारी की। तलाशी के दौरान वहां से एक चालू हालत में मोबाइल फोन और एक बड़ी रकम बरामद की गई, जो जेल नियमों का खुला उल्लंघन है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जेल विभाग ने तुरंत इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी और आंतरिक जांच के आदेश जारी कर दिए गए।
गौरतलब है कि पादरी बजिंदर सिंह एक स्वयंभू धर्मगुरु हैं, जिन्हें एक महिला अनुयायी से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था। उनकी गिरफ्तारी के समय ही यह सवाल उठे थे कि उन्हें सत्ताधारी नेताओं और अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। अब जेल के अंदर से मोबाइल और नकदी मिलने से यह संदेह और गहरा गया है कि वह अभी भी अपनी पहुंच और प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो पादरी की कोठरी में आम कैदियों से इतर कई विशेष सुविधाएँ मौजूद थीं। मोबाइल फोन का उपयोग बाहरी दुनिया से संपर्क में रहने के लिए किया जा रहा था — यह ना केवल जेल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सुरक्षा के लिए भी खतरा है। नगदी की बरामदगी से स्पष्ट संकेत मिलता है कि जेलकर्मियों की मिलीभगत से यह सब संभव हो पाया।
मानसा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पुष्टि की है कि मामला गंभीर है और इसमें शामिल किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। “हम यह जांच कर रहे हैं कि जेल के अंदर यह सामान कैसे पहुंचा। जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी,” अधिकारी ने कहा।
इस घटना को लेकर जनभावनाएँ भड़क उठी हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और माँग कर रहे हैं कि पादरी को सख्त निगरानी वाली सेल में रखा जाए और जिन जेल अधिकारियों ने उसे यह सुविधा दी, उन्हें निलंबित किया जाए।
महिला संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की तीव्र निंदा की है। उनका कहना है कि एक बलात्कार के दोषी को इस तरह की विशेष सुविधा देना न्याय प्रणाली का उपहास और पीड़िता का अपमान है।
फिलहाल जाँच जारी है और यह घटना पंजाब सरकार के लिए जेल सुधारों पर कठोर कदम उठाने की एक अग्निपरीक्षा बन गई है। देखना होगा कि क्या बजिंदर सिंह को अतिरिक्त सज़ा दी जाएगी और क्या दोषी जेलकर्मी सज़ा पाएँगे।