आतंकवाद पर भारत का कड़ा रुख़: एससीओ बैठक में राजनाथ सिंह ने दुनिया को चेताया
पहलगाम हमले के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' का ज़िक्र कर दिया कड़ा संदेश
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 जून: चीन के क़िंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की स्पष्ट और शून्य-सहिष्णुता नीति को मज़बूती से रखा। 26 जून, 2025 को अपने संबोधन में उन्होंने सभी सदस्य देशों से आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि कुछ देश आतंकवाद को अपनी नीति के रूप में इस्तेमाल करते हैं और उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।
आतंकवाद ही क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती
श्री राजनाथ सिंह ने ज़ोर दिया कि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी का मूल कारण बढ़ती कट्टरता, उग्रवाद और आतंकवाद है। उन्होंने कहा कि शांति और समृद्धि एक साथ नहीं रह सकते जहाँ आतंकवाद और आतंकी समूहों के पास सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) हों। यह एक ऐसी चुनौती है जिससे निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई ज़रूरी है।
दोहरे मापदंड स्वीकार नहीं: राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री ने ऐसे देशों की कड़ी आलोचना की जो सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है और एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। यह सीधे तौर पर उन देशों पर निशाना था जो आतंकवाद को अपनी कूटनीति के लिए एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
पहलगाम हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’
श्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि इस हमले के जवाब में भारत ने अपनी रक्षा के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ द्वारा हमले की ज़िम्मेदारी लेने की बात भी कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने दिखा दिया है कि “आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं” और भारत उन्हें निशाना बनाने में नहीं हिचकेगा।
युवाओं में कट्टरपंथ और नई तकनीक से खतरा
रक्षा मंत्री ने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने ड्रोन जैसी नई तकनीकों के इस्तेमाल से होने वाली सीमा पार हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी को भी एक गंभीर चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि आज के समय में पारंपरिक सीमाएँ ही सुरक्षा की एकमात्र बाधा नहीं हैं, इसलिए खतरों से निपटने के लिए एकीकृत प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
अफगानिस्तान और वैश्विक सहयोग
राजनाथ सिंह ने अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने जलवायु परिवर्तन और आपदाओं जैसी गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि इन वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रों के बीच सहयोग बहुत ज़रूरी है।
‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का विजन
अपने भाषण के अंत में, रक्षा मंत्री ने भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (विश्व एक परिवार है) के सभ्यतागत मूल्य पर आधारित ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के विज़न को दोहराया। उन्होंने आपसी समझ और परस्पर लाभ को वैश्विक सहयोग के मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में रेखांकित किया।