भूस्खलन से काँपा केदारनाथ हाईवे! मुनकटिया में तबाही का मंजर

श्रद्धालुओं में मची भगदड़ | एनडीआरएफ-SDRF का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

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समग्र समाचार सेवा
रुद्रप्रयाग, 27 जून:उत्तराखंड में केदारनाथ यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं के लिए शुक्रवार की सुबह काल बनकर आई। मुनकटिया के पास अचानक भयंकर भूस्खलन हुआ, जिससे पूरा केदारनाथ हाईवे थम गया। पहाड़ से गिरे विशाल बोल्डर और भारी मलबा देखकर यात्रियों में चीख-पुकार मच गई। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए। हादसा इतना अचानक हुआ कि किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला। गनीमत रही कि इस तबाही में कोई जान-माल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन दहशत का आलम अब भी कायम है।

लगातार हो रही बारिश से पहाड़ मानो मौत बरसाने पर उतारू है। पिछले एक सप्ताह से मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है, जिससे मुनकटिया और सोनप्रयाग के पास स्लाइडिंग ज़ोन एक्टिव हो गए हैं। शुक्रवार सुबह मुनकटिया में अचानक पहाड़ी दरक गई और विशाल चट्टानें तेज आवाज के साथ हाईवे पर आ गिरीं। कई वाहन वहीं फंस गए, जबकि सैकड़ों यात्री खतरनाक हालात में फंस गए।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने तत्काल केदारनाथ यात्रा को रोक दिया है। सोनप्रयाग से आगे किसी को नहीं भेजा जा रहा। जो श्रद्धालु केदारनाथ से लौट रहे थे, उन्हें मुनकटिया से रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। दूसरी तरफ फंसे यात्रियों को जंगल के रास्तों से निकालकर सुरक्षित ठिकानों तक लाया जा रहा है।

बचाव कार्य जारी, प्रशासन हाईवे खोलने में जुटा
जिलाप्रशासन ने मौके पर जेसीबी मशीनें और विशेष कर्मचारी भेजे हैं ताकि मलबा हटाकर हाईवे को दोबारा खोलने की कोशिश की जा सके। SHO सोनप्रयाग राकेन्द्र कठैत खुद मौके पर मौजूद हैं और आने-जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा और आवाजाही सुनिश्चित कर रहे हैं। हाईवे की हर पल निगरानी की जा रही है ताकि कोई और हादसा न हो।

स्थानीय लोगों के अनुसार, बारिश के चलते हर दिन कहीं न कहीं पहाड़ खिसक रहा है, जिससे श्रद्धालु डरे हुए हैं। “ऐसा लगा जैसे पूरा पहाड़ टूटकर हमारे ऊपर आ गया हो। भगवान ने बचा लिया,” एक महिला यात्री ने कहा, जो भूस्खलन के दौरान बाल-बाल बची।

क्या यात्रा फिर से शुरू हो पाएगी?
फिलहाल केदारनाथ यात्रा को रोक दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक मौसम अनुकूल नहीं होता और रास्ता पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होता, तब तक श्रद्धालुओं को आगे जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

उत्तराखंड में मानसून की पहली ही बारिश ने आपदा के खतरे को साफ तौर पर सामने ला दिया है। प्रशासन अलर्ट मोड पर है, लेकिन पहाड़ की अनिश्चित प्रकृति ने यात्रा को खतरे की घंटी बजा दी है।

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