ईरान-इजरायल युद्ध विराम: मध्य पूर्व में शांति की नई सुबह?
ट्रम्प ने 12 दिवसीय युद्ध के अंत की घोषणा की, लेकिन क्या यह शांति स्थायी होगी?
समग्र समाचार सेवा
दिल्ली, 24 जून: पिछले 12 दिनों से इजरायल और ईरान के बीच चल रहा संघर्ष, जिसने पूरे मध्य पूर्व को एक बड़े युद्ध की कगार पर ला खड़ा किया था, अब थम गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों देशों के बीच “पूर्ण और कुल” युद्ध विराम की घोषणा की है, जिससे वैश्विक स्तर पर राहत की सांस ली गई है। लेकिन क्या यह वाकई एक स्थायी शांति की शुरुआत है या सिर्फ एक अस्थायी विराम?
12 दिन का खूनी संघर्ष: एक संक्षिप्त अवलोकन
यह संघर्ष 13 जून को तब शुरू हुआ जब इजरायल ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों और सैन्य ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जिसे ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ नाम दिया गया। इजरायल ने आरोप लगाया कि ईरान परमाणु हथियार हासिल करने के करीब था, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा था। जवाब में, ईरान ने भी इजरायल पर ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3’ के तहत मिसाइलें दागीं, जिसमें कतर में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया गया। इस 12 दिवसीय युद्ध ने लाखों लोगों को विस्थापित किया और पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया।
ट्रम्प की मध्यस्थता और ईरान का विरोधाभास
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में घोषणा की कि इजरायल और ईरान दोनों ने “पूर्ण और कुल” युद्ध विराम पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह युद्ध विराम चरणबद्ध तरीके से लागू होगा, जिसमें पहले ईरान अपनी सैन्य कार्रवाई बंद करेगा और उसके 12 घंटे बाद इजरायल भी ऐसा करेगा। ट्रम्प ने इस समझौते को अपनी कूटनीतिक जीत बताया और कहा कि दोनों देश अब “प्रेम, शांति और समृद्धि” की ओर बढ़ेंगे।
हालांकि, ट्रम्प की घोषणा के तुरंत बाद, ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने उनके दावे को खारिज कर दिया। अराघची ने कहा कि “कोई समझौता नहीं हुआ है,” और ईरान तभी सैन्य कार्रवाई रोकेगा जब इजरायल अपनी “अवैध आक्रामकता” बंद करेगा। हालांकि, बाद में उन्होंने संकेत दिया कि ईरान की सैन्य कार्रवाई तेहरान समयानुसार सुबह 4 बजे तक समाप्त हो गई थी, और उन्होंने अपने सशस्त्र बलों को “आखिरी मिनट तक इजरायल को दंडित करने” के लिए धन्यवाद दिया। यह विरोधाभास इस बात की अनिश्चितता को दर्शाता है कि क्या यह युद्ध विराम वास्तव में एक ठोस समझौते का परिणाम है या केवल एकतरफा कार्रवाई का।
भू-राजनीतिक प्रभाव और आगे की राह
इस युद्ध विराम की घोषणा ने वैश्विक बाजारों में तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। तेल की कीमतें, जो संघर्ष के दौरान बढ़ गई थीं, अब स्थिर होने की उम्मीद है। भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए यह एक बड़ी राहत है, जिससे चालू खाता घाटा कम होने और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम, क्षेत्रीय प्रॉक्सी समूहों को उसके समर्थन, और इजरायल के साथ उसके ऐतिहासिक शत्रुतापूर्ण संबंध इस क्षेत्र में भविष्य के तनावों के स्रोत बने रहेंगे। यह देखना बाकी है कि क्या यह युद्ध विराम एक स्थायी शांति प्रक्रिया का मार्ग प्रशस्त करेगा, या केवल एक अस्थायी शांति होगी जिसके बाद फिर से संघर्ष छिड़ सकता है। कूटनीति, विश्वास निर्माण और क्षेत्रीय संवाद इस क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए महत्वपूर्ण होंगे।