समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 जून: पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से श्रद्धालुओं के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा के द्वार खुलने जा रहे हैं। कोविड महामारी के कारण वर्ष 2020 से स्थगित इस यात्रा की शुरुआत 30 जून 2025 से होगी और यह यात्रा अगस्त 2025 तक चलेगी। इस वर्ष भी यात्रा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख पास से ही आयोजित की जाएगी।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध, जैन और तिब्बती बोन धर्मों में भी यह स्थल अति पवित्र माना गया है।
- बौद्ध परंपरा में इसे डेमचोक का निवास कहा गया है।
- जैन धर्म में यह प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से जुड़ा हुआ है।
- तिब्बती मान्यता में इसे स्वास्तिक पर्वत के रूप में पूजा जाता है।
साथ ही, मानसरोवर झील का धार्मिक महत्व भी अत्यंत गहरा है, जहाँ स्नान करना मोक्ष और पुण्य का प्रतीक माना जाता है।
यात्रा संचालन और नया मार्ग
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा हाल ही में आयोजित एक बैठक में यात्रा फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया है। यात्रा का संचालन इस बार भी कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) द्वारा किया जाएगा।
- यात्रा की शुरुआत दिल्ली से होगी।
- श्रद्धालु टनकपुर, चंपावत, धारचूला होते हुए लिपुलेख पास से आगे बढ़ेंगे।
- पूर्व में प्रयुक्त रूट (काठगोदाम, अल्मोड़ा) की जगह इस बार नया मार्ग अपनाया जाएगा।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का अनुभव
कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक साधना का अनुभव है।
यह यात्रा भक्तों को प्राकृतिक सौंदर्य, आस्था, साहस, और आत्मचिंतन का अद्वितीय अवसर प्रदान करती है।
हर साल सैकड़ों श्रद्धालु इस कठिन, लेकिन अलौकिक यात्रा को करके जीवन में आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव करते हैं।