समग्र समाचार सेवा
दिल्ली, 23 जून: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। विशेष रूप से, भारत के बासमती चावल निर्यात पर इस युद्ध का गहरा असर पड़ रहा है। मध्य पूर्व के देशों में चावल की बड़ी मांग है, और इन देशों में अस्थिरता का सीधा असर भारतीय निर्यातकों पर पड़ रहा है, खासकर करनाल, हरियाणा जैसे प्रमुख बासमती उत्पादक क्षेत्रों में।
भारत का बासमती: एक वैश्विक पहचान
भारत दुनिया का सबसे बड़ा बासमती चावल निर्यातक है। हमारे बासमती की खुशबू और गुणवत्ता की मांग खाड़ी देशों, विशेष रूप से ईरान में बहुत अधिक है। ईरान भारत के बासमती चावल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक रहा है, और हर साल अरबों रुपये का व्यापार होता है। यह निर्यात न केवल भारतीय किसानों और व्यापारियों के लिए आय का एक बड़ा स्रोत है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
युद्ध का सीधा असर: निर्यात में गिरावट
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के कारण व्यापारिक मार्ग बाधित हुए हैं, शिपिंग लागत बढ़ी है और भुगतान संबंधी अनिश्चितताएं बढ़ गई हैं। इसका सीधा परिणाम यह हुआ है कि भारतीय बासमती चावल के निर्यात ऑर्डर में भारी गिरावट आई है। चावल निर्यातकों के अनुसार, जो ऑर्डर पहले हजारों टन में आते थे, अब वे घटकर कुछ सौ टन रह गए हैं। यह स्थिति करनाल जैसे बासमती व्यापार के केंद्रों के लिए चिंता का विषय बन गई है, जहां हजारों लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
निर्यातकों की चुनौतियां: भुगतान और सुरक्षा
ईरान और अन्य मध्य पूर्वी देशों के साथ व्यापार करने में भारतीय निर्यातकों को भुगतान प्राप्त करने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। युद्ध की स्थिति में बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से भुगतान प्रक्रिया धीमी और अनिश्चित हो जाती है। इसके अलावा, समुद्री मार्ग पर सुरक्षा चिंताएं भी बढ़ गई हैं, जिससे शिपिंग कंपनियों के लिए बीमा लागत बढ़ गई है, जिसका सीधा बोझ निर्यातकों पर पड़ रहा है। इन चुनौतियों के कारण कई सौदे रद्द हो रहे हैं या स्थगित हो रहे हैं।
केवल चावल ही नहीं: अन्य निर्यात भी प्रभावित
यह समस्या केवल बासमती चावल तक ही सीमित नहीं है। मध्य पूर्व के क्षेत्र में जारी संघर्ष के कारण भारत से होने वाले अन्य कृषि उत्पादों और वस्तुओं के निर्यात पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह स्थिति भारत के समग्र व्यापार संतुलन को प्रभावित कर सकती है और निर्यात क्षेत्र में लगे लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी कम कर सकती है।
आगे की राह: सरकार से उम्मीदें
इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय निर्यातकों को सरकार से समर्थन की उम्मीद है। वे चाहते हैं कि सरकार व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, भुगतान तंत्र को आसान बनाने और वैकल्पिक बाजारों की तलाश करने में उनकी मदद करे। यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार मध्य पूर्व में शांति बहाली के प्रयासों में अपनी भूमिका निभाए, क्योंकि स्थिरता ही व्यापार और आर्थिक विकास की कुंजी है।