बिहार की राजनीति में ‘गब्बर’ की एंट्री: सम्राट चौधरी का लालू-तेजस्वी पर हमला

सियासी अखाड़े में तीखी जुबानी जंग

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समग्र समाचार सेवा
पटना, 23 जून: बिहार की राजनीति में इन दिनों जुबानी जंग चरम पर है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को “गब्बर सिंह” बताया है, यह कहते हुए कि उनके शासनकाल में जंगलराज था। उन्होंने लालू यादव को “खलनायक” की संज्ञा दी और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को खुले मंच पर बहस की चुनौती दी। इस तरह की बयानबाजी से बिहार का राजनीतिक पारा गरमा गया है, और आने वाले चुनावों से पहले एक तीखी प्रतिस्पर्धा का माहौल बन रहा है।

लालू यादव ‘गब्बर’ क्यों?

सम्राट चौधरी ने अपने बयान में लालू प्रसाद यादव को फिल्म ‘शोले’ के कुख्यात डाकू गब्बर सिंह से जोड़ा। उनका कहना है कि लालू यादव के शासन में (जिसे अक्सर ‘जंगलराज’ कहा जाता है) बिहार में अपहरण, लूट और हत्या जैसी घटनाएं आम थीं। चौधरी के अनुसार, लालू यादव ने बिहार को ‘गब्बर सिंह’ की तरह लूटा है। यह आरोप राजद के शासनकाल की आलोचना का एक नया और तीखा तरीका है, जो मतदाताओं के बीच नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश करता है।

तेजस्वी को खुली बहस की चुनौती

सम्राट चौधरी ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को खुले मंच पर बहस करने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी बताएं कि उन्होंने बिहार के लिए क्या किया है। चौधरी का तर्क है कि तेजस्वी यादव केवल अपने पिता के नाम पर राजनीति कर रहे हैं और उनके पास राज्य के विकास के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। यह चुनौती भाजपा की ओर से राजद को घेरने और युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाने का एक प्रयास है।

बिहार की राजनीति में नया मोड़?

यह पहली बार नहीं है जब बिहार की राजनीति में व्यक्तिगत हमलों और तीखी बयानबाजी का दौर चला हो। हालांकि, सम्राट चौधरी का यह बयान एक नई आक्रामकता दिखाता है। भाजपा, जो बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है, राजद पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाकर खुद को एक बेहतर विकल्प के रूप में पेश करना चाहती है। यह आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों के बीच तनाव को दर्शाता है।

‘जंगलराज’ बनाम ‘विकास’: मुख्य चुनावी मुद्दा?

सम्राट चौधरी के बयानों से यह स्पष्ट है कि ‘जंगलराज’ का मुद्दा भाजपा के लिए एक प्रमुख चुनावी हथियार बना रहेगा। वे लालू-तेजस्वी के शासनकाल को कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति और भ्रष्टाचार से जोड़कर पेश कर रहे हैं। वहीं, राजद ‘विकास’ और ‘सामाजिक न्याय’ के अपने एजेंडे पर जोर दे रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन मुद्दों पर जनता कैसे प्रतिक्रिया देती है।

इस तरह की बयानबाजी से बिहार की राजनीति और गरमाएगी। राजद भी निश्चित रूप से भाजपा पर पलटवार करेगा। यह जनता के लिए भी एक मौका होगा कि वे दोनों दलों के दावों और वादों का मूल्यांकन करें। यह देखना बाकी है कि क्या सम्राट चौधरी की ‘गब्बर’ वाली टिप्पणी बिहार की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव ला पाती है या यह केवल एक और राजनीतिक बयान बनकर रह जाती है।

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