बिहार को मिला देश का सबसे लंबा केबल पुल: राघोपुर से पटना अब सिर्फ 5 मिनट में!

विकास की नई उड़ान, कनेक्टिविटी का नया अध्याय

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समग्र समाचार सेवा
पटना, 23 जून: बिहार में आधारभूत संरचना के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक दिन है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश के सबसे लंबे केबल पुल, कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्स लेन पुल के एक लेन का उद्घाटन कर दिया है। यह पुल न केवल वैशाली के राघोपुर दियारा क्षेत्र को सीधे पटना से जोड़ेगा, बल्कि उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच कनेक्टिविटी को भी क्रांतिकारी रूप से बदल देगा। 75 सालों के इंतजार के बाद, यह पुल बिहार के विकास की गाथा में एक नया अध्याय जोड़ रहा है।

75 साल का इंतजार खत्म: दियारा क्षेत्र को मिली मुक्ति

राघोपुर दियारा, गंगा नदी से घिरा एक ऐसा क्षेत्र था जहाँ के लोगों को हर साल मानसून के दौरान भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। पटना पहुंचने के लिए उन्हें नावों या अस्थायी पुलों का सहारा लेना पड़ता था, जिससे महीनों तक उनका संपर्क टूट जाता था। यह नया सिक्स लेन केबल पुल इस समस्या का स्थायी समाधान है। अब राघोपुर के लगभग 5 लाख लोग साल भर पटना से जुड़े रहेंगे, और यात्रा का समय घटकर मात्र 5 मिनट रह जाएगा। यह उनके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और रोजगार के अवसरों तक पहुंच को आसान बनाएगा।

इंजीनियरिंग का चमत्कार: ‘बियर’ तकनीक पर आधारित

यह पुल मात्र एक सामान्य पुल नहीं है, बल्कि यह अत्याधुनिक इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे ‘एक्स्ट्रा डोज्ड केबल-स्टेयड’ तकनीक (Extra-dosed cable-stayed bridge) पर बनाया गया है। एल एंड टी और देवू जॉइंट वेंचर द्वारा निर्मित यह पुल कुल 22.760 किलोमीटर लंबा है, जिसमें मुख्य पुल लगभग 9.76 किलोमीटर का है। इसकी लागत लगभग 4988.40 करोड़ रुपये है। पुल के खंभों के बीच 160 मीटर की दूरी रखी गई है, ताकि गंगा में मालवाहक जहाजों का आवागमन बाधित न हो। गंगा के जलस्तर से 22 मीटर की ऊंचाई पर बना यह पुल बाढ़ के दौरान भी सुरक्षित रहेगा।

सिर्फ 5 मिनट में पटना: कैसे बदलेगी जिंदगी?

इस पुल के शुरू होने से पटना-बख्तियारपुर फोरलेन के सबलपुर से वैशाली के चकसिकंदर और गाजीपुर चौक एनएच 103 तक सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी। यह पुल दक्षिण बिहार और पड़ोसी राज्य झारखंड से आने वाले वाहनों को उत्तर बिहार जाने के लिए पटना शहर में प्रवेश करने की आवश्यकता को समाप्त कर देगा, जिससे शहर में यातायात का दबाव कम होगा। यह व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा और राघोपुर दियारा क्षेत्र के लिए एक आर्थिक क्रांति लाएगा।

पर्यटन और शिक्षा के नए आयाम

इस पुल के निर्माण से न केवल यातायात सुगम होगा, बल्कि यह पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। पुल पर योजनाबद्ध व्यूइंग प्लेटफॉर्म से पर्यटक गंगा में डॉल्फ़िन देख सकेंगे, जो एक अनोखा इको-टूरिज्म अनुभव होगा। सबलपुर के पास एक राजमार्ग संग्रहालय (Highway Museum) भी प्रस्तावित है, जो इंजीनियरिंग के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक शैक्षिक केंद्र के रूप में काम करेगा। यह सब बिहार के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

भविष्य की ओर: अधूरा काम भी जल्द होगा पूरा

फिलहाल इस पुल के एक लेन का ही उद्घाटन हुआ है, लेकिन दूसरे लेन का काम भी तेजी से चल रहा है और इसे सितंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना में कोविड-19, भूमि अधिग्रहण और मौसमी बाढ़ जैसी चुनौतियों के कारण देरी हुई है, लेकिन अब यह अपने अंतिम चरण में है। यह पुल गांधी सेतु, महात्मा गांधी सेतु और राजेंद्र सेतु जैसे अन्य भीड़भाड़ वाले पुलों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प प्रदान करेगा, जिससे पूरे क्षेत्र में यातायात की समस्या में भारी कमी आएगी।

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