समग्र समाचार सेवा
पटना, 21 जून: बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब भारतीय जनता पार्टी के विधायक मिश्री लाल यादव की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई। दरभंगा से विधायक रहे मिश्री लाल यादव को एमपीएमएलए कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी। यह मामला 2019 में दर्ज हुआ था, जिसमें उन पर अपने समर्थकों के साथ एक व्यक्ति उमेश मिश्रा के साथ मारपीट करने का आरोप था। गिरफ्तारी और न्यायिक सजा के बाद अब विधानसभा सचिवालय ने उनकी विधायकी समाप्त करने की अधिसूचना जारी कर दी है।
विधानसभा में अब तक चार सदस्यता रद्द
मिश्री लाल यादव चालू विधानसभा के चौथे ऐसे विधायक हैं जिनकी सदस्यता रद्द की गई है। उनसे पहले भाकपा माले के मनोज मंजिल, राजद के अनिल साहनी और अनंत सिंह की भी सदस्यता समाप्त की जा चुकी है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो रहा है कि बिहार विधानसभा अब विधायकों की कानूनी और नैतिक जवाबदेही को लेकर कड़ा रुख अपना रही है।
BJP को नुकसान, पर अब भी सबसे बड़ी पार्टी
मिश्री लाल यादव की सदस्यता रद्द होने से भाजपा को विधानसभा में एक सीट का नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन 79 विधायकों के साथ पार्टी अब भी सबसे बड़ी शक्ति बनी हुई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 77 विधायकों के साथ दूसरे स्थान पर है। हालांकि, इस सियासी नुकसान के बावजूद भाजपा नेतृत्व ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
उपचुनाव की संभावना नहीं
अली नगर विधानसभा क्षेत्र, जहां से मिश्री लाल यादव विधायक थे, वहां अब उपचुनाव नहीं होगा। इसका कारण यह है कि बिहार विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 22 नवम्बर 2025 को समाप्त हो रहा है और अक्टूबर-नवम्बर में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। ऐसे में निर्वाचन आयोग इस सीट पर उपचुनाव नहीं कराएगा।